रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 19 अक्टूबर का पंचांग 2025 का पंचांग,

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आप सभी को नरक चतुर्दर्शी / छोटी दिवाली / हनुमान जयंती / रूप चतुर्दर्शी की हार्दिक शुभकामनायें

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

19 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 19 October 2025 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

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19 अक्टूबर 2025 का पंचांग, 19 October 2025 ka Panchang,


भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।


* विक्रम संवत् – 2082, वर्ष
* शक संवत – 1947, वर्ष
* कलि संवत 5127, वर्ष
* कलयुग – 5127, वर्ष
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला वृश्चिक, धनु, मीन,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 6.04 AM से 7.09 AM तक

दोपहर 01.18 PM से 02.18 PM तक

रात्रि 20.21 PM से 9.18 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।


सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi) – त्रियोदशी 13.51 PM तक तत्पश्चात चतुर्दर्शी,
  • तिथि के स्वामी :- त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी और चतुर्दर्शी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।

आज छोटी दीपावली / नरक चतुर्दर्शी / रूप चतुर्दर्शी, हनुमान जयंती का पर्व है । शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण और राक्षस नरकासुर के मध्य कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि तक घोर युद्ध हुआ था।

भगवान श्री कृष्ण जी ने आज ही अधर्मी नरकासुर का वध कर सोलह हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था। इस शुभ अवसर पर हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।

चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर रविवार को दोपहर 1.52 PM से प्रारम्भ होगी जो 20 अक्टूबर को दोपहर 3.44 PM तक रहेगी, चतुर्दर्शी तिथि में संध्या के समय प्रदोष काल का विशेष महत्त्व है इसलिए नरक चतुर्दर्शी का पर्व 19 अक्टूवर रविवार को ही मनाया जायेगा ।

नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी और यम की भी पूजा की जाती है । बहुत सी जगहों पर आज हनुमान जयंती भी मनाई जाती है क्योंकि आज ही के दिन माँ सीता ने हनुमान जी को अमर होने का वरदान दिया था ।

हनुमान जी बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं , हनुमान जी को कलयुग के साक्षात देवता कहा गया है अर्थात हनुमान जी कलयुग में भी जीवित देवता है। आज के दिन मंदिर में हुनमान जी को प्रशाद, इत्र, मीठा पान, पीला सिंदूर और तिल का तेल अर्पित करें, ऐसा करने से कार्यो में अवरोध दूर होता है ।

आज यमराज जी के निमित दीपक भी अवश्य ही जलाना चाहिए ऐसा करने से नरक की यातना नहीं भोगनी चाहिए ।

नरक चतुर्दर्शी के दिन माँ काली की आराधना अवश्य ही करें । मान्यता है कि इस दिन काली मां  की पूजा से जीवन से सभी संकट निश्चय ही दूर होते है, भाग्य साथ देने लगता है ।

काली माता का मन्त्र :-

  1.  “ॐ क्रीं कालिके स्वाहा”॥
  2. ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥

आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल में गंगा जल हल्दी और कुमकुम डाल कर नहाना चाहिए । ब्रह्म पुराणमें लिखा की जो मनुष्य वर्ष में इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है वह नरक का भागी नहीं होता है ।

 इस दिन स्नान से पहले शरीर पर बेसन में हल्दी, कुमकुम डाल कर तिल का तेल मिलाकर शरीर पर उसका उबटन लगाना चाहिए, इस दिन स्नान से पूर्व तिल्ली के तेल से मालिश जरुर करनी चाहिए ।

ऐसा करने से रूप / यौवन, तेज की वृद्धि होती है, दुर्भाग्य दूर होता है, जातक लक्ष्मीवान बनता है ।

आज के दिन संध्या के समय तिल के तेल से भरे 14 दीपक प्रज्ज्वलित करके उनकी पूजा करके उसको पूरे घर में अलग अलग स्थान पर रखें । ऐसा करने से घर में स्थाई लक्ष्मी जी का वास होता है ।

नक्षत्र :- उत्तरा फाल्गुनी 17. 49 PM तक तत्पश्चात हस्त।

नक्षत्र के स्वामी :-     उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता आर्यमन और स्वामी सूर्य, बुध देव जी है ।

आकाश मंडल में उत्तरा फाल्गुनी को 12 वां नक्षत्र माना जाता है। ‘उत्तरा फाल्गुनी’ का अर्थ है ‘बाद का लाल नक्षत्र’। यह एक बिस्तर या बिस्तर के पिछले दो पाए को दर्शाता है जो आराम और विलासिता के जीवन का प्रतीक है।  

यह नक्षत्र रोमांस, कामुक, ऐश्वर्य, रोमांच और अनैतिक आचरण को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पाकड़ तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर सूर्य और बुध का प्रभाव बना रहता है।

इस नक्ष‍त्र में जन्मे व्यक्ति दानी, दयालु, साहसी, विद्वान, चतुर, उग्र स्वभाव, सही निर्णय लेने वाले होते है।  इन्हे पूर्ण संतान, भूमि का सुख मिलता है।

लेकिन यदि सूर्य और बुध की स्थिति जन्म कुंडली में खराब है तो जातक का रुझान गलत कार्यों में रहने लगता है, उसका झुकाव विपरीत लिंगी की तरफ बहुत आसानी से हो जाता है।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में पैदा हुई स्त्री, सरल, शांत लेकिन खुशमिज़ाज़ होती हैं। यह आसानी से सबको प्रभावित कर लेती है ।इनका पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 12, भाग्यशाली रंग, चमकदार नीला, भाग्यशाली दिन  बुधवार, शुक्रवार, और रविवार  माना जाता है ।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ अर्यमणे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।




  • योग (Yog) – इंद्र 2.05 AM सोमवार 20 अक्टूबर तक
  • योग के स्वामी :-    इंद्र योग के स्वामी पितृ देव जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है । 
  • प्रथम करण : – वणिज 13.1 51M तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – विष्टि 2.45 AM सोमवार 20 जुलाई तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.43 AM से 5.54 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.00 PM से 14.45 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 17.47 PM से 18.13 PM तक
  • अमृत काल :- अमृत काल 9.59 AM से 11.44 AM सोमवार 13 अक्टूबर तक
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:24
  • सूर्यास्त – सायं 17:47

    आँखों की रौशनी बढ़ाने, आँखों से चश्मा उतारने के लिए अवश्य करें ये उपाय

  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है ।
  • पर्व त्यौहार- नरक चतुर्दर्शी / छोटी दिवाली / हनुमान जयंती / रूप चतुर्दर्शी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 94252 03501
( वास्तु एवं हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 7587346995)

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नरक चतुर्दशी, Narak Chaturdashi, Narak Chaturdashi 2025,

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दीपावली पर्व से एक दिन पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, Narak Chaturdashi / छोटी दीपावली, choti diwali / रूप चतुर्दशी, roop chaturdashi / काली चौदस, kali Chaudas के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व मुक्ति प्रदान करने वाला माना गया है, इस दिन का अत्यधिक महत्व है ।

नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी यानी कि चौदहवें दिन मनाया जाता है ।
इस वर्ष 2025 में नरक चतुर्दशी, छोटी दीपावली 19 अक्टूबर रविवार को मनाई जाएगी ।

शास्त्रों में छोटी दीपावली, नरक चतुर्दशी के उपाय, narak chaturdashi ke upay, बताये गए है जिनको करने से पूरे वर्ष के समस्त पापो का नाश होता है, नरक के दर्शन नहीं होते है।

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  • शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था जिसने 16,000 कन्याओं को बंधक बनाकर रखा था, इसलिए दीपावली से एक दिन पूर्व पड़ने वाले इस पर्व को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
  • ब्रह्म पुराणमें लिखा की जो मनुष्य वर्ष में इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है वह नरक का भागी नहीं होता है , लेकिन सूर्य उदय होने के बाद स्नान करने वाले व्यक्ति के पिछले एक वर्ष के सभी पुण्यकार्य समाप्त हो जाते है ।
  • इस दिन स्नान से पहले शरीर पर तिल्ली के तेल से मालिश जरुर करनी चाहिए ,(कार्तिक मास में बहुत से लोग तेल का उपयोग नहीं करते है वह भी इस दिन तेल से मालिश कर सकते है) इस दिन तिल्ली के तेल में लक्ष्मी जी और जल में गंगा जी का निवास माना गया है।

    स्नान से पहले तेल लगाने के बाद शरीर में उबटन भी लगाना चाहिए , स्नान से पूर्व वरुण देवता का ध्यान करते हुए जल में हल्दी और कुमकुम डालकर स्नान करना अत्यंत उत्तम माना गया है ।
  • स्नान से पूर्व तुम्बी ( लौकी का टुकड़ा ) और अपामार्ग ( आठ उंगली लकड़ी का टुकड़ा )इन दोनों को अपने सर के चारों ओर सात बार घुमाएँ इससे नरक का भय समाप्त होता है ।

    साथ ही यह कहें हे तुम्बी , हे अपामार्ग आप बार – बार फिराएं जाते हो , आप मेरे पापों को दूर करों ओर कुबुद्धि का नाश करों । स्नान के पश्चात् इस तुम्बी ओर अपामार्ग को घर के दक्षिण दिशा में विसर्जित कर देना चाहिए ।
  • इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है।


  • इस दिन स्नान के पश्चात पत्नी सहित विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे व्यक्ति के समस्त पाप कटते है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।
  • नरक चतुर्दशी के दिन काली माँ की पूजा का विशेष महत्व है, यह दिन मां काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
    सुबह तेल से स्नान करने के बाद काली देवी की पूजा करनी चाहिए, काली माँ की पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है।

    मान्यता है कि इस दिन काली मां की पूजा से जीवन से सभी संकट निश्चय ही दूर होते है, भाग्य साथ देने लगता है ।

    काली माँ की पूजा करने से टोने-टोटकों का प्रभाव नहीं पड़ता है ,बुरी आत्माओं से रक्षा होती है। काली मां के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, कर्ज से छुटकारा मिलता हैं।

काली माता का मन्त्र :-

“ॐ क्रीं कालिके स्वाहा”॥

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥

  • लिंग पुराण के अनुसार इस दिन उड़द के पत्तों के साग से युक्त भोजन करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है ।
  • नरक चतुर्दशी का पर्व मनुष्य को नरक की यातना से बचने , अपने कर्मों का विश्लेषण करने ओर सत्कर्म पर चलने की प्रेरणा देता है।

    इस दिन हर व्यक्ति को अपने पिछले एक वर्ष में जाने / अनजाने में किये गए पापों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए ओर सन्मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
    इस दिन सांयकाल में दीपदान करने वाले व्यक्ति का माता लक्ष्मी कभी भी साथ नहीं छोडती है ।
  • नरक चतुर्दशी के दिन प्रदोष काल (सांय 5.39 बजे से 6:47 बजे तक ) तिल के तेल से भरे हुए 14 दीपक एक थाली में सजा , जला कर उसका पूजन करें फिर उसे मंदिर, घर के सभी कक्षों , नल , तुलसी के पौधे पर रख दें ।


  • इस दिन सांयकाल घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर सरसो के तेल का दीपक जलाकर धर्मराज का ध्यान करते हुए नीचे दिए गए मंत्र का जाप करते हुए पूरब दिशा की ओर मुखं करके दीप दान करना चाहिए इससे व्यक्ति के यम के मार्ग का अंधकार समाप्त हो जाता है । इसे जलाते समय यह ध्‍यान रखे कि दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर रहे।

म्रत्युना दंडपाशाभ्याँ कालेन श्याम्या सह ,

त्रयोदश्याँ दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम।



  • सनत कुमार संहिता के अनुसार पितरों को भी स्वर्ग का मार्ग दीखता है ओर उनको नरक से मुक्ति मिलती है साथ ही भगवान वामन और राजा बलि का स्मरण करते हुए माता लक्ष्मी से अपने यहाँ स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करनी चाहिए ऐसे करने से लक्ष्मी जी स्थायी रूप से आपके घर में निवास करती है ।
  • वैसे तो दीपावली के पांचों दिन ही किसी न किसी घटना के कारण रामराज को समर्पित है चाहे वह धनतेरस हो या भाई दूज (यम द्धितीया) सभी पांचों दिन यमराज के निमित्त विभिन्न दीप दान का महत्व है परन्तु नरक चतुर्दशी का महत्व इन सबमे कहीं अधिक है ।
  • नरक चतुर्दशी Narak Chaturdashi के दिन लाल चंदन, गुलाब के फूल व रोली के पैकेट को की पूजा करें और उसके बाद उन्हें एक लाल कपड़े में बांधकर उसे अपनी तिजोरी tijori में रखें, इस उपाय को करने से धन लाभ होता है और धन घर में रुकता भी है।
  • नरक चतुर्दशी के पीछे वामन पुराण में एक कथा है राजा बलि के यज्ञ को भंग करके वामन भगवान ने पृथ्वी से सम्पूर्ण ब्रहाण्ड को नाप लिया था और राजा बली को पाताल में शरण दी।

    बली के द्वारा मांगे वर के अनुसार जो मनुष्य इस पर्व पर दीप दान करेगा उसके यहाँ स्थिर लक्ष्मी का वास होगा और वह यम यातना से दूर रहेगा ।

  • ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
    ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )7587346995

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diwali ka muhurat 2025, दिवाली का मुहूर्त,

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हिंदू धर्म में दिवाली के पर्व का बहुत ही अधिक महत्व है। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा में दिवाली का मुहूर्त, diwali ka muhurat, बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। दिवाली का पावन पर्व वर्ष 2025 में 21 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जाएगा।

शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या के दिन ही भगवान श्री राम लंकापति रावण का वध कर के पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण जी के साथ अपने नगर अयोध्या वापस आए थे। उनके वापस आने पर अयोध्या के निवासियों ने दीप प्रज्ज्वलित करके उनका प्रसन्नता से शानदार स्वागत किया गया था। इसी खुशी में प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है।

दीपावली, dipawali के दिन देवी लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी और कुबेर देव की भी पूजा की जाती है।

दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में माँ लक्ष्मी – गणेश और कुबेर जी की पूजा करनी चाहिए, इससे पूरे वर्ष सुख – समृद्धि बनी रहती है धन का आगमन सरलता से होता रहता है। 

पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि सोमवार 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से लगने वाली है, यह 21 नवंबर को शाम 5:56 तक रहेगी ।

चूँकि 20 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि रहेगी इसलिए दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर सोमवार को ही मनाया जायेगा ।

शास्त्रों में दीपवाली के पाँचो पर्वो को बहुत महत्त्व दिया गया है और इन सभी पर्वो में मुहूर्त को बहुत विशेष माना गया है इसीलिए विशेषकर दीपावली का पूजन
सदैव शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए ।

दीपावली के दिन रात्रि 7:00 PM से लेकर 8:48 PM दोष काल, स्थिर वृष लग्न में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। साथ ही रात्रि को 01:19 से तड़के 03:33 तक निशिता काल में लक्ष्मी पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा ।

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वर्ष 2025 में दिवाली का मुहूर्त, diwali ka muhurat, dipawali ka shubh muhurat,

2025 में दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त- 2025 me diwali par pooja ka shubh muhurth,

इस बार दीपावली पर गजकेसरी, आयुष्मान, सौभाग्य योग और लक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है जी कि बहुत ही शुभ साबित होगा।

महा-लक्ष्मी के पूजन में प्रदोष काल, स्थिर लग्न व शुभ चौघाडिया तथा मुहूर्त विशेष का महत्व होता है |
शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन, स्वास्थ्य और आयु बढ़ती है। महालक्ष्मी पूजन सायंकाल प्रदोषकाल में करना चाहिए। ब्रह्मपुराण में कहा गया है:-

“कार्तिके प्रदोषेतु विशेषेण अमावस्या निषाबर्धके। तस्यां सम्पूज्येत देवी भोग मोक्ष प्रदायिनीम”।।

अर्थात लक्ष्मी पूजा दीपदान के लिए प्रदोष काल ही विशेषतया प्रशस्त माना जाता है।

वर्ष 2025 में दीपावली के पर लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त सांय 5:48 से लेकर 8:35 तक रहेगा।

मीन लग्न में दोपहर 3.20 PM से 4.48 PM तक

सिर्फ व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पूजा के लिए चार मेष लग्न में 4.50 PM से 6.26 मिनिट तक

प्रदोष काल वृष स्थिर लग्न का मुहूर्त सांय 6 बजकर 28 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 8.27 मिनट तक रहेगा।

दिवाली पर निशित काल का पूजा का मुहूर्त:-

निशित काल का मुहूर्त : रात्रि 11:39 से मध्य रात्रि 1.21 तक,

सिंह लग्न का मुहूर्त: 00:12 मिनट से तड़के सुबह 02:30, तक का है ।

दिवाली का मुहूर्त, diwali ka muhurat, चौघड़िया के अनुसार

दिन में व्यापारी वर्ग / आफिस में पूजा का मुहूर्त

शुभ की चौघड़िया : सुबह 09.00 AM से 10.30 AM तक, ,, ,,

अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11.40 मिनट से दोपहर 12.08 मिनट तक का समय,

चर की चौघड़िया : दोपहर 1.30 PM से दोपहर 3.00 PM तक ,,

लाभ की चौघड़िया : दोपहर 03.00 PM से सांय 4.30 PM तक ,,

अमृत की चौघड़िया : सांय 4.30 PM से सांय 6.00 PM तक

चर की चौघड़िया : रात्रि 6.00 PM से रात्रि 7.30 PM तक ,,

लाभ की चौघड़िया : रात्रि 10.30 PM से रात्रि 12.00 PM तक ,,

शुभ की चौघड़िया : देर रात्रि 1.30 AM से 3 AM तक

अमृत की चौघड़िया : देर रात्रि 3.00 AM से 4.30 AM तक

चर की चौघड़िया : सुबह तड़के 4.30 PM से सुबह 6.00 PM तक

वर्ष 2025 में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ  मुहूर्त, दिवाली का शुभ मुहूर्त, diwali ka shubh muhurat, 

दिवाली पर निशित काल का पूजा का मुहूर्त:-

वर्ष 2025 में दीपावली के पर लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल में सांय 5:48 से लेकर 8:35 तक रहेगा।

मीन लग्न में दोपहर 3.20 PM से 4.48 PM तक

सिर्फ व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पूजा के लिए चार मेष लग्न में 4.50 PM से 6.26 मिनिट तक

प्रदोष काल में वृष स्थिर लग्न का मुहूर्त सांय 6 बजकर 28 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 8.22 मिनट तक रहेगा।

वृषभ काल का मुहूर्त सांय 06:40 से 08:22 तक रहेगा ।

दिवाली पर निशित काल का पूजा का मुहूर्त:-

निशित काल का मुहूर्त : रात्रि 11:39 से मध्य रात्रि 12.31 तक,

सिंह लग्न का मुहूर्त: 00:12 मिनट से तड़के सुबह 02:30, तक का है ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

 संपर्क सूत्र:9425203501

7587346995

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दीपावली से दो दिन पहले पड़ने वाला धनतेरस का पर्व  वैद्य राज धनवंतरि और देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव जी का दिन माना जाता है। धनतेरस पर क्या करें, dhanteras par kya karen, धनतेरस पर क्या खरीदें, Dhateras par kya kharide, यह जानना बहुत आवश्यक है। 

‘धनतेरस’ को ‘धनवंतरि त्रयोदशी’ भी कहा जाता है  इस दिन नए बर्तन विशेषकर पीली धातु का बर्तन या सोने चांदी की चीज खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।

धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी जी के साथ भगवान धनवंतरि और कुबेर देव जी की पूजा से परिवार में आरोग्य और सुख – समृद्धि का वास होता है ।

 धनतेरस के दिन लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्तुएं खरीदते है, मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष वस्तुओं की खरीददारी करने से घर कारोबार में धन – धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहती है।

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वर्ष 2025 में धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर शनिवार को मनाया जायेगा।

पंचांग के मुताबिक वर्ष 2025 त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 18 अक्टूबर शनिवार को दोपहर 12.21 PM बजे से होगा और त्रियोदशी तिथि 19 अक्टूबर रविवार को दोपहर 1.53 PM पर समाप्त होगी ।

इसके अतिरिक्त प्रदोष काल तथा वृषभ काल में भी धनतेरस की पूजा करना उत्तम रहेगा।

इस वर्ष 100 वर्ष के बाद धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का अद्भुत संयोग देखने को मिल रहा है । यह त्रिपुष्कर योगमंगलवार को 6.32 पर लगेगा, जो दूसरे दिन सुबह 10.30 तक देखने को मिलेगा ।

धनतेरस में खरीददारी, लाभ आम दिनों की जगह सहस्त्र गुना, चिर स्थाई होता है लेकिन त्रिपुष्कर योग के कारण इसमें तीन गुना तक और भी लाभ बढ़ जाता है और यह संयोग निकट भविष्य में तीन बार फिर होने की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है ।

धनतेरस पूजन मुर्हुत 18 अक्टूबर 2023 –

प्रदोष काल – सांय 05:19 से 18:31 बजे तक

वृषभ काल – सांय 06:13 से 20:11 तक,

यम दीपम मुहूर्त – सांय 06.09 – रात 07.39

खरीददारी का शुभ मुहूर्त……

जिसमें पहला शुभ मुहूर्त उसके लग्न से कुंभ लघ्न होगा, जो दिन में 1.59 PM से लेकर दिन में दोपहर 3.30 PM तक रहेगा ।

दूसरा शुभ मुहूर्त वृषभ लग्न जो स्थिर लग्न होगा, यह सायं 6.35 PM से लेकर रात्रि 8.31 तक रहेगा ।

चर की चौघड़िया 9 बजकर 0 2 मिनट से 10 बजकर 32 मिनट तक का समय शुभ है।

लाभ की चौघड़िया दोपहर में 10.30 से दोपहर 12.08 मिनट तक

अमृत की चौघड़िया दोपहर 12.05 PM से दोपहर 1. 29 PM तक ।

शुभ की चौघड़ियों में दोपहर 3 बजे से 4.30 PM तक

लाभ की चौघड़िया रात्रि में 7.30 PM से रात्रि 9.01 से रात्रि

शुभ और अमृत की चौघड़ियों रात्रि में 10.30 PM से रात्रि 1.30 AM


* मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी bhagwan dhanvantri अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन से इसी दिन प्रकट हुए थे।  इस दिन पीतल और चाँदी खरीदना चाहिए क्योंकि पीतल भगवान धन्वंतरी bhagwan dhanvantri की धातु है। पीतल खरीदने से घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभता आती है।  

धनतेरस Dhanteras के दिन चाँदी और पीतल खरीदने से भाग्य प्रबल होता है, घर में धन समृद्धि बढ़ती है, खरीदी हुई वस्तुओं में 13 गुना वृद्धि होती है।

धातु से बने बर्तन, सामान और गहने खरीदने के लिए धनतेरस Dhanteras का दिन वर्ष का सबसे दिन श्रेष्ठ दिन माना गया है।

इस दिन घर में धातु का सामान लाने से घर कारोबार में सदैव स्थिर लक्ष्मी का वास रहता हैं ।

धनतेरस Dhanteras के दिन दीपावली dipavali में पूजन के लिए लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति जरूर लानी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन दीपावली की पूजाके लिए गणेश लक्ष्मी खरीदने से घर धन धान्य से भरा रहता है। आर्थिक संकट पास भी नहीं आते है।

* धनतेरस के दिन देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव kuber dev की पूजा का बहुत महत्व है । इस दिन घर में कुबेर देव kuber dev की तस्वीर को लाकर उसे उत्तर दिशा में लगाएं। और यदि कुबेर देव kuber dev की तस्वीर पहले से ही है तो उसे अच्छी तरह से साफ करके उसके ऊपर नयी साफ माला पहनाएं। धनतेरस के दिन घर में कुबेर देव की तस्वीर लगाने उनकी पूजा करने से घर कारोबार में धन समृद्धि भरी रहती है। 

माँ लक्ष्मी को कमलगट्टा बहुत प्रिय है। धनतेरस के दिन कमलगट्टे की माला खरीद कर उसे माँ लक्ष्मी को पहना दें या उसका आसन बना कर माँ लक्ष्मी की मूर्ति / फोटो को उसके ऊपर स्थापित कर दें । यह माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने उसका आशीर्वाद प्राप्त करने का बहुत जी अद्भुत उपाय है ।

धनतेरस Dhanteras के दिन शंख को खरीदना अत्यंत शुभ समझा जाता है ।  धनतेरस Dhanteras के शंख को घर में लाकर उसे पूजा घर में रखकर उसकी भी पूजा करें और दीपावली पूजन के समय शंख को अवश्य ही बजाएं।

शास्त्रो के अनुसार जिस घर में नित्य पूजा में शंख को बजाया जाता है उस घर से  माँ लक्ष्मी कभी भी नहीं जाती है और उस घर से सभी संकट दूर रहते है।

माँ लक्ष्मी को कौड़ियाँ अत्यंत प्रिय है और जहाँ पर कौड़ियाँ होती है वहाँ पर माँ लक्ष्मी को रहना ही होता है।  धनतेरस Dhanteras के दिन कौडियों को खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस Dhanteras के दिन कौड़ियाँ लाकर उन्हें घर के मंदिर में रखे और सांयकाल माँ लक्ष्मी, कुबेर जी के साथ इनकी भी पूजा करे ।

दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा के बाद इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपने धन स्थान / तिजोरी में रख दें। इस उपाय को करने से घर में धन की कभी भी कमी नहीं रहती है।

धनिया माँ लक्ष्मी को बहुत प्रिय है । जिस घर में साबुत धनिया होता है वहाँ पर माँ लक्ष्मी अवश्य ही निवास करती है। धनतेरस Dhanteras के दिन घर पर साबुत धनिया / धनिया के बीज घर जरूर लाना चाहिए  और इसे पूजा के बाद अपने घर के आंगन / गमले में छिड़क कर उसकी देखभाल करनी चाहिए।

कहते है धनिया आपके घर में जितना अच्छा फलेगा / उगेगा उतनी ही आर्थिक स्थिति अच्छी होती है ।

धनतेरस के दिन घर में नई झाडू अवश्य ही लाएं । झाडू देवी लक्ष्मी जी का प्रतीक है जो घर से दरिद्रता, अलक्ष्मी को दूर भगाता है। धनतेरस Dhanteras के दिन घर में नई  झाडू लाने से घर से दरिद्रता, नकारात्मक उर्जा दूर चली जाती हैं, और स्वच्छ घर में माँ लक्ष्मी का वास होता हैं।

झाड़ू मात्र 40 – 50 रूपये की ही मिलती है लेकिन धनतेरस को इसके खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।  मान्यता है कि इस दिन घर में झाड़ू लाने से धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती ।

धनतेरस के दिन दीपावली की पूजा पर पहनने के लिए नए पीले या लाल नए वस्त्र खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।


ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
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