ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 5 नवम्बर 2025 का पंचांग,

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आप सभी भक्तो को कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
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बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


5 नवम्बर 2025 का पंचांग, ( Panchang ), 5 November 2025 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

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*विक्रम संवत् 2082,
*शक संवत – 1947
*कलि संवत 5127
*अयन – दक्षिणायण
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – कार्तिक माह
*पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 6.34 AM से 7.30 AM तक

दोपहर 12.59 PM से 1.54 PM तक

रात्रि 19.51 PM से 20.49 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

आज अति शुभ कार्तिक पूर्णिमा है। हिन्दु धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व तिल आंवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने, जप, तप और दान देने से अक्षय पुण्य मिलता है।  मान्यता है कि आज सूर्योदय से पूर्व देवता गण स्वर्ग से पृथ्वी पर पवित्र नदियों में स्वयं स्नान के लिए आते है।

इस दिन सूर्योदय से पूर्व तिल आंवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने, जप, तप और दान देने से अक्षय पुण्य मिलता है।

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह में सांयकाल दीपदान से राजसुय यज्ञ और अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। उसमें भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करने का पुण्य जन्म जन्मांतर तक अक्षय रहता है। पूरे वंश में किसी को भी नरक का मुँह नहीं देखना पड़ता है।

आज के दिन भगवान श्री विष्णु जी की लक्ष्मी जी साथ दोबारा पूजा होनी शुरू हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते है क्यों कि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। 

त्रिपुरासुर और उसकी असुरी सेना के संहार के पश्चात सभी देवताओं ने दीप जलाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना, आराधना की थी, प्रसन्नता व्यक्त की थी इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है ।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं की दीपावली भी होती है।  शास्त्रों के अनुसार जो जातक इस दिन अपने घर को दियो, रौशनी से सजाते है उन्हें जीवन में किसी भी सुख की कोई कमी नहीं रहती है, उन पर सदैव देवताओं और उनके पितरो का आशीर्वाद बना रहता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव मंदिर में रात भर दिया अवश्य जलाये रखे। 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन किये गए दान का बहुत महत्त्व बताया गया है। कहते है कि इस दिन जो भी दान किया जाता हैं हमें उसका अनंत गुना लाभ मिलता है, इसका पुण्य कभी भी समाप्त नही होता है ।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवन सत्यनारायण की कथा को अवश्य पढ़ना / सुनना चाहिए, इससे उस घर परिवार पर भगवान श्री विष्णु जी असीम कृपा रहती है । 

इस दिन जब चंद्र उदित हो रहा हो उस समय 6 कृतिकाओं के नमो का उच्चारण करने से जीवन से सारे कष्ट / संकट दूर होते है ।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शंकर जी के मंदिर में दर्शन और सांय काल शिवलिंग के निकट दीपक जलाने से सभी मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है ।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र उदय के समय इनका नाम लेने से समस्त मनोकामनाएं होती है पूरी

इस तरह से मनाएं जन्माष्टमी का पर्व जीवन में लग जायेगा सुखो का अम्बार 

नक्षत्र (Nakshatra) – अश्विनी 9.40 AM तक तत्पश्चात भरणी

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-        अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनीकुमार जी,  नक्षत्र का  स्वामी ग्रह मंगल एवं अधिपति ग्रह केतु जी है ।

अश्विन नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र है और यह नक्षत्र अश्व मुख अर्थात घोड़े के सिर का प्रतीक है। अश्विनी नक्षत्र 3 तारो का समूह है जो अश्विनी नक्षत्र साहस, जीवन, और शक्ति का प्रतीक है।

अश्विनी एक देवता नक्षत्र है जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह नाम अश्विनी-कुमारों से संबंधित है जो हिंदू देवता माने जाते हैं।

अश्विनी नक्षत्र का लिंग पुरुष है। अश्विन नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कुचला और स्वभाव शुभ माना गया है । अश्विन नक्षत्र में जन्मे जातक समान्यता धनवान तथा भाग्यवान होते  है।  

इस नक्षत्र में चन्द्र देव जी  के होने के कारण जातक को आभूषण से प्रेम रहता है एवं जातक सुन्दर, सुखी और सौभाग्यशाली होता है।

मान्यता है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक धन, स्त्री,आभूषण तथा पुत्रादि  का पूर्ण सुख प्राप्त करते है।  ऐसे जातक सक्रिय, उत्साही होते है यह अपने फैसलों पर दृढ़ रहते हैं।  

अश्विनी नक्षत्र के जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 7 और 9, भाग्यशाली रंग पीला, मैरून, ऑरेंज, गुलाबी, एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार होता है ।

आज अश्विनी नक्षत्र के मंत्र “ॐ अश्विनी कुमाराभ्यां नमः” का 108 बार जाप करें इससे अश्विनी नक्षत्र को बल मिलेगा।  

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  • योग (Yog) – सिद्धि 11.28 AM तक तत्पश्चात व्यतिपात
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-   सिद्धि योग के स्वामी भगवान गणेश जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 08.40 AM
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-         विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • गुलिक काल : – बुधवार का गुलिक काल 10:30 AM से 12 PM बजे तक ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार का राहुकाल दिन 12:00 PM से 1:30 PM तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.36 AM
  • सूर्यास्त – सायं 17.33 PM
  • विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना मना है । ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है, दुःख, कलह और दरिद्रता के योग बनते है ।
  • मुहूर्त :- कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली
  • पर्व त्यौहार –

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हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।

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