ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 10 मार्च 2025 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 10 मार्च 2025 का पंचांग,

आप सभी को आमलकी एकादशी / रंग भरी एकादशी की हार्दिक शुभकामनायें

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 10 मार्च 2025 का पंचांग, 10 March 2025 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2025, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

10 मार्च 2025 का पंचांग, 10 March 2025 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तारायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – फाल्गुन माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 6.44 AM से 7.42 AM तक

दोपहर 01.31 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 8.25 PM से 9.27 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

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सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

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  • तिथि (Tithi) – एकादशी 7.44 AM तक तत्पश्चात द्वादशी
  • तिथि का स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी बिश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है । 
  • आज अति शुभ आमलकी एकादशी  /  रंग भरी एकादशी है ।  इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना और आंवले के दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • इस बार इस एकादशी के ब्रत की तिथि को  लेकर लोगों में भ्रम की स्थिती बन रही है ।
  • पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल  पक्ष की एकादशी आमलकी / रंगभरी एकादशी तिथि का प्रारम्भ रविवार  09 मार्च को प्रात:  07 बजकर 45 मिनट से होगा जो  सोमवार 10 मार्च को प्रात: 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी । इसीलिए आमलकी एकादशी  /  रंग भरी एकादशी सोमवार 10 मार्च को  मनाई जाएगी ।
  • शास्त्रों में आंवला को अमृत फल माना गया है, श्रेष्ठ स्थान दिया गया  है । मयता है कि भगवान श्री विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए भगवान ब्रह्मा जी को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को भी उत्पन्न किया था।
  • आंवला विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है, भगवान श्री हरि विष्णु जी ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में  बताया है ।
  • शास्त्रों में कहा गया है जो प्राणी विष्णु जी की पूर्ण कृपा, समस्त सुखो और अंत में स्वर्ग और मोक्ष  की कामना रखते हैं उन्हें फाल्गुन शुक्ल पक्ष की इस  एकादशी का व्रत अवश्य ही रखा चाहिए। इस एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा से समस्त पापो का नाश होता है, सुख – समृद्धि, परम सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है ।
  • आमलकी एकादशी को रंग भरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है वर्ष की समस्त एकादशियों में यही ऐसी  एकादशी है जिसमें भगवान श्री विष्णु जी के साथ साथ भगवान भोलेनाथ जी की भी पूजा की जाती है। रंग भरी एकादशी के दिन तीर्थ नगरी वाराणसी  में भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है।
  • ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर माता पार्वती जी को गौना करा कर पहली बार वाराणसी लाये थे और काशीवासियों ने उनका स्वागत अत्यंत हर्ष से गुलाल उड़ा कर किया था और रंगो से होली खेली थी इसीलिए इसे रंग भरी एकादशी भी कहा जाता है  ।
  • इस दिन काशी में बाबा विश्वनाथ का विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है, भक्त उनकी पूजा में फूल और गुलाल का प्रयोग करते हैं । काशी में प्रत्येक वर्ष रंगभरी एकादशी पर भगवान शंकर और माँ पार्वती जी नगर भ्रमण करते हैं और पूरा नगर उनके दर्शनों के लिए लालायित रहता है, प्रत्येक काशी वासी रंगो से रंग जाता है ।
  • भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की होली, काशी के लोगो की होली को देखने के लिए शिव भक्त बड़ी संख्या में दूर-दूर से आते हैं,   और अबीर गुलाल से सराबोर होकर होली की मस्ती में अपनी सुध बुध खो जाते है ।
  • काशी में होली में रंगो की शुरुआत इसी दिन से प्रारम्भ हो जाती है मान्यता है कि  इस एकादशी  में पूजा में  रंग और लाल गुलाल का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए ।  मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवन शंकर जी पार्वती जी को अबीर – गुलाल और फूल अर्पित करने से दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है ।
  • शास्त्रों के अनुसार आंवले के पेड़ में तुलसी जी और बेल दोनों के ही  गुण होते हैं, और आंवले के पेड़ की पूजा करने, धूप – दीप जलाने, चुनरी अर्पित करने से श्री विष्णु जी और भगवान शंकर जी दोनों की ही पूजा का फल मिलता है।
  • एकादशी के दिन विष्णु जी को अत्यंत प्रिय तुलसी जी की भी पूजा अवश्य ही करनी चाहिए, ऐसा करने से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
  • एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” अथवा ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। का आशिक से अधिक जाप करना चाहिए ।
  • एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण या आँवले का रस डाल कर स्नान करने से समस्त पापो का नाश होता है।
  • एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।  
  • एकादशी के दिन चावल और दूसरे का अन्न खाना मना है । एकादशी के दिन चावल खाने से रोग और पाप बढ़ते है, एकादशी के दिन दूसरे का अन्न खाने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है ।
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नक्षत्र (Nakshatra) – पुष्य नक्षत्र 12.51 AM, मंगलवार 11 मार्च तक

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-      पुष्य नक्षत्र के देवता देव गुरु बृहस्पति और स्वामी शनि देव जी है । 

पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा भी कहते है, उसमें भी रवि पुष्य नक्षत्र एवं गुरु पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ माने जाते है। इस अवसर पर किया गया शुभ कार्य अति लाभ दायक और चिरस्थाई होता है।

पुष्य नक्षत्र का नक्षत्र आराध्य वृक्ष: पीपलं तथा नक्षत्र का स्वाभाव शुभ माना जाता है।

शास्त्रों में लिखा है कि पुष्य नक्षत्र में शुरू किये गए सभी कार्य पुष्टिदायक, सर्वथा सिद्ध होते ही हैं, निश्चय ही फलीभूत होते हैं ।

पुष्य नक्षत्र माँ लक्ष्मी जी को अत्यंत प्रिय है  ।  पुष्य नक्षत्र के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त, श्री महा लक्ष्मी अष्टकम का पाठ करना अत्यंत पुण्य दायक माना जाता है।

पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक सुन्दर, शांत, महत्वाकांक्षी, साहसी, सुखी, भोगी, लोकप्रिय, बुद्धिमान, परोपकारी, कड़ी मेहनत करने वाले तथा पुत्र मित्रादि से युक्त होता है।

लेकिन पुष्य नक्षत्र के लोग स्वार्थी, अत्यधिक बोलने वाले, जिद्दी, घमंडी,  कट्टरपंथी और अत्यधिक संवेदनशील भी होते हैं।

पुष्य नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 2, भाग्यशाली रंग लाल, नीला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और बुधवार होता है ।

पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ बृहस्पतये नम: “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग(Yog) – शोभन 13.57 PM तक तत्पश्चात अतिगण्ड,
  • योग के स्वामी :-   शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है ।
  • प्रथम करण : – विष्टि 7.44 AM तक,
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-      विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।

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  • द्वितीय करण : –  बव 19.55 PM तक तत्पश्चात बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
  • ब्रह्म मुहूर्त : 4.59 AM से 5.48 AM तक
  • विजय मुहूर्त : 14.30 PM से 15.17 PM तक
  • गोधूलि मुहूर्त : 18.24 PM से 18.49 PM तक
  • विशेष – एकादशी के दिन सेम फली, चावल का सेवन और दूसरो के अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  •  एकादशी के दिन चावल खाने से रोग बढ़ते है और दूसरे का अन्न खाने से पुण्य नष्ट होते है ।
  • द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना,  मसूर का सेवन करना  वर्जित है।
  • द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है।  
  • पर्व त्यौहार- आमलकी एकादशी / रंग भरी एकादशी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)


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