ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

Shukrwar ka panchag, शुक्रवार का पंचांग, 28 मार्च 2025 का पंचांग,

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गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग

शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 28 मार्च 2025 का पंचांग,

शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,

  • Panchang, पंचाग, Panchang 2025 हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

    1:- तिथि (Tithi)
    2:- वार (Day)
    3:- नक्षत्र (Nakshatra)
    4:- योग (Yog)
    5:- करण (Karan)


    पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

    जानिए, Shukravar Ka Panchang, शुक्रवार का पंचांग, आज का पंचांग, aaj ka panchang,

    28 मार्च 2025 का पंचांग28 March  2025 ka Panchang,

  • महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

  • ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥


आज का पंचांग, aaj ka panchang,

दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।

शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय 
“श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।

शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।

  • *विक्रम संवत् 2081,
  • * शक संवत – 1946,
    *कलि संवत – 5126
    * अयन – उत्त्तरायण,
    * ऋतु – बसंत ऋतु,
    * मास – चैत्र माह
    * पक्ष – कृष्ण पक्ष
    *चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ,

शुक्रवार को शुक्र देव की होरा :-

प्रात: 6.17 AM से 7.19 AM तक

दोपहर 01.27 PM से 2.28 PM तक

रात्रि 20.33 PM से 9.31 PM तक

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दाहिने हाथ के अंगूठे से नीचे के हिस्से ( शुक्र का स्थान ) और अंगूठे पर थोड़ा सा इत्र लगाकर, ( इत्र ना मिले तो उसके बिना भी कर सकते है) बाएं हाथ के अंगूठे से उस हिस्से को शुक्र की होरा में “ॐ शुक्राये नम:” या

‘ॐ द्रांम द्रींम द्रौंम स: शुक्राय नम:।’ मंत्र का अधिक से अधिक जाप करते हुए अधिक से अधिक रगड़ते / मसाज करते रहे ( कम से कम 10 मिनट अवश्य )I

यह उपाय आप कोई भी काम करते हुए चुपचाप कर सकते है इसके लिए किसी भी विधि विधान की कोई आवश्यकता नहीं है I

सुख समृद्धि, ऐश्वर्य, बड़ा भवन, विदेश यात्रा, प्रेम, रोमांस, सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए शुक्रवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा में शुक्रदेव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शुक ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

शुक्र देव के मन्त्र :-

ॐ शुं शुक्राय नमः।। अथवा

” ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः “।।

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  • नक्षत्र ( Nakshatra ) : पूर्व भाद्रपद 22.09 PM तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद ,

    नक्षत्र के स्वामी :–       पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं ।

    नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’। 

    पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक वाकपटु होते है उन्हें भाषण कला में निपुणता होती है ।

    पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।

    इस नक्षत्र में जन्मे जातक आशावादी, ईमानदार, परोपकारी, मिलनसार, भरोसेमंद, धनवान और आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं।

    ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विपरीत परिस्थितियों से घबराते नहीं है, वरन अपने सकारत्मक रवैये के कारण यह हर परिस्तिथि को अपने अनुकूल करने की क्षमता रखते है । सामान्यता यह  छल कपट, बेईमानी और नकारात्मक विचारो से दूर रहते हैं। 

    पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी,  भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।

    पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज  नक्षत्र देवता नाममंत्र:– “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

    पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। उन्हें भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए , इससे जीवन में सभी संकट दूर रहते है ।

    इस नक्षत्र में जन्मे जातको को काले कपड़े एवं चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए ।

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    योग(Yog) :- शुक्ल 2.07 AM, शनिवार 29 मार्च तक,

    योग के स्वामी, स्वभाव :-    शुक्ल  योग की स्वामी देवी पार्वती जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।

    प्रथम करण : – विष्टि 09.32 AM तक,

    करण के स्वामी, स्वभाव :-    विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।

    द्वितीय करण :- शकुनि 19.55 PM तक तत्पश्चात चतुष्पाद,

    करण के स्वामी, स्वभाव :-  शकुनि करण की स्वामी माँ काली और स्वभाव क्रूर है ।

    • दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
    • ब्रह्म मुहूर्त : 4.42 AM से 5.29 AM तक
    • विजय मुहूर्त : 14.30 PM से 15.19 PM तक
    • गोधूलि मुहूर्त : 6.36 PM से 6.59 PM तक

      यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
    • गुलिक काल : – शुक्रवार का गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
    • राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 AM से 12:00 PM तक ।
    • सूर्योदय -प्रातः 06:16
    • सूर्यास्त – सायं : 18:37
    • विशेष – चतुर्दशी और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना, क्रोध करना, हिंसा करना मना है । ऐसा करने से दुर्भाग्य आता है, दुःख, कलह और दरिद्रता के योग बनते है ।
    • पर्व त्यौहार- मासिक शिवरात्रि

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  • “हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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    आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।
    आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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