ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 8 मई 2024 का पंचांग,

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आप सभी को शनि देव जी के प्राकट्य दिवस, शनि जयंती की हार्दिक शुभकामनायें


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
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बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


8 मई 2024 का पंचांग, ( Panchang ), 8 May 2024 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

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*विक्रम संवत् 2081,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तरायण
*ऋतु – ग्रीष्म ऋतु
*मास – बैसाख माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 5.34 AM से 6.41 AM तक

दोपहर 01.24 PM से 2.32 PM तक

रात्रि 20.46 PM से 9.39 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

अक्षय तृतीया के दिन इस वस्तु का दान करने, सेवन करने से समस्त पापो का होता है नाश,

  • तिथि (Tithi) – अमावस्या 8.51 AM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
  • तिथि के स्वामी – अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।


    आज बैसाख माह की अमावस्या है । वैशाख माह की अमावस्या तिथि मंगलवार 7 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से प्रारम्भ होगी तथा यह 8 मई सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी ।

    इसीलिए उदया तिथि के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या 8 मई 2024 को मनाई जाएगी ।

    अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव है। पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना गया है।

    अमावस्या के दिन सुबह के समय लोहे के बर्तन में, दूध, पानी, काले तिल, शहद एवं जौ मिला कर समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित करके पीपल की 7 परिक्रमा करें, तथा इस दौरान “ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें ।

इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते है, उनका आशीर्वाद मिलता है ।

अमावस्या तिथि को पितरों के तर्पण, दान के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है । इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर अपने पितरों की शांति के लिए उनका तर्पण करते हैं ।

आज पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं उसे यथा शक्ति दान – दक्षिणा प्रदान करें ।

अमावस्या के दिन घर पर खीर अवश्य बनायें फिर उसमें थोड़ी सी खीर दोने पर निकाल कर पित्रों के निमित पीपल पर रख आएं ।

हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है ।

इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।

अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।

इस तरह से मनाएं जन्माष्टमी का पर्व जीवन में लग जायेगा सुखो का अम्बार 

आज शनि देव जी का प्राकट्य दिवस है । शास्त्रों के अनुसार, बैसाख मास की अमावस्या तिथि में ग्रहो में न्यायाधीश भगवान शनिदेव का जन्म को हुआ था, इसीलिए इस दिन को शनि देव जी का प्राकट्य दिवस / शनि जयंती shani jyanti, के रूप में मनाया जाता है ।

शनि देव न्याय के देवता कहे गए है, शनिदोषो से मुक्ति पाने, शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि जयंती का दिन बहुत ही विशेष माना जाता है।

आज शनि देव के मंत्रो

“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”

“ॐ शं शनिश्चराय नम:” का अधिक से अधिक जाप अवश्य करें

शनि देव को काला / नीला रंग अति प्रिय है। आज शनि जयंती के दिन सांय काल शनि मंदिर में शनि देव पर काला वस्त्र और सुरमा अवश्य ही चढाएं।

 शनिवार के दिन शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं, सांय काल प्रदोष काल में ( 6 बजे से 8 बजे के बीच ) पीपल पर भी दीपक अवश्य ही जलाएं ।

 शनि जयंती पर कड़वा तेल ( सरसो का तेल ) काले उड़द, काले तिल, लोहा, गुड़ एवं नीले या काले पुष्पों चढ़ाने से शनि देव प्रसन्न होते है ।

शनि जयंती के दिन किसी गरीब मजदूर या सफाई कर्मचारियों को चाय की पत्ती का पैकेट दान में दें । इस दिन मजदूरों, सफाई कर्मचारियों को चाय पिलायें तथा बिस्कुट / पाव आदि खाने को दें । ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते है जातक को कष्टों से छुटकारा मिलता है ।

शनि की दशा / साढ़े के दुष्प्रभावों को दूर करने, शनि देव को अपने अनुकूल करने के लिए आज दशरथ कृत शनि स्तोत्र, हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का पाठ अवश्य करें ।

नक्षत्र (Nakshatra) – भरणी 13.33 PM तक तत्पश्चात कृतिका

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-    भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और नक्षत्र के स्वामी शुक्र जी है ।

भरणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र है और त्रिकोण का प्रतीक है। यह नक्षत्र प्रकृति के स्त्री वाले पहलू को इंगित करता है।

भरणी नक्षत्र बलिदान, ईर्ष्या, सहनशीलता और शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह संयम का एक सितारा माना जाता है और गर्भ का प्रतिनिधित्व करता है। भरणी नक्षत्र सितारा का लिंग मादा है। 

भरणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आँवला और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।

भरणी नक्षत्र में पैदा होने वाले एक बड़े दिल वाले व्यक्ति माने जाते हैं, यह लोगो की बातो का बुरा नहीं मानते है। आपकी ताकत आपकी मुस्कुराहट है आप हमेशा शांत और प्रसन्न रहते हैं। आप ईमानदार है और सकारात्मक रहते है। इनका पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है ।

भरणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, 3 और 12, भाग्यशाली रंग पीला, लाल, और हरा एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार माना जाता है । 

भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन भारणी नक्षत्र हो उस दिन नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ यमाय् नमः” l  मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे भारणी नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।  

भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को भगवान शंकर जी की आराधना परम फलदाई है, इन्हे इस नक्षत्र के दिन महा मृत्युंजय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – सौभाग्य 17.41 PM तक तत्पश्चात शोभन
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- सौभाग्य योग के स्वामी ब्रह्मा जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – नाग 8.51 AM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    नाग करण के स्वामी नागदेव और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – किस्तुघ्न 19.33 PM तक तत्पश्चात बव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- किस्तुघ्न करण के स्वामी मरुत और स्वभाव क्रूर है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 5.35 AM
  • सूर्यास्त – सायं 19.01 PM
  • विशेष – अमावस्या, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है । अमावस्या के दिन क्रोध, हिंसा से दूर रहे, इस दिन किसी का भी धन ना हड़पें ।
  • पर्व त्यौहार- शनि जयंती, बैसाख माह की अमावस्या

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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आप पर ईश्वर का सदैव आशीर्वाद बना रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
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