ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 15 अप्रैल 2024 का पंचांग,


सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 15 अप्रैल 2024 का पंचांग,

आप सभी को नवरात्री के सातवें दिन की हार्दिक शुभकामनाएं । जय माँ कालरात्रि

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 15 अप्रैल 2024 का पंचांग, 15 April 2024 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2024, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

15 अप्रैल 2024 का पंचांग, 15 April 2024 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2081,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – बसंत ऋतु,
* मास – चैत्र माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 5.55 AM से 6.59 AM तक

दोपहर 01.25 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 8.38 PM से 9.34 PM तक

सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है।

सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

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जानिए नवरात्री में कन्या पूजन में माता के किन किन स्वरूपों की पूजा की जाती है, कैसे मिलेगी माँ की पूर्ण कृपा  

  • तिथि (Tithi) – सप्तमी 12.11 PM तक तत्पश्चात अष्टमी
  • तिथि का स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देव जी और अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।
  • नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा- आराधना की जाती है।
  • मां के माता कालरात्रि के स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह के पापो, शत्रुओं, नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। माता कालरात्रि काल से भी रक्षा करने वाली शक्ति है।
  • मां का रूप अत्यंत भयानक है एवं बाल बिखरे हुए हैं। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं, इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है और ये गर्दभ अर्थात गधे की सवारी करती हैं।
  • माता कालरात्रि के गले में पड़ी हुई माला बिजली की तरह चमकती रहती है ।
  • माँ के ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है जो भक्तों को निर्भय रहने का आशीर्वाद देता है अर्थात माँ कालरात्रि के भक्तो की समस्त संकटो से रक्षा होती है ।
  • वहीँ बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है ।
  • मां को लाल पुष्प अत्यंत प्रिय हैं इसलिए मां कालरात्रि को पूजा में लाल गुड़हल या लाल गुलाब के फूल अर्पित करें । मां को गुड़ का भोग अर्पित करके पूजा के बाद सबको गुड़ का प्रसाद वितरित करना चाहिए ।
  • नवरात्री के सातवें दिन मां कालरात्रि की कृपा के लिए रात्रि में मां कालरात्रि के समक्ष दीपक जलाकर श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके माँ की पूजा करें, एवं यहाँ दिए गए मन्त्र की माला का लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से जाप करना चाहिए ।
  • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे “
  • अथवा
  • ‘ॐ कालरात्र्यै नम:।’
  • जीवन में समस्त संकटो को दूर करने, सफलता का द्वार खोलने के लिए नवरात्री के मंगलवार को अवश्य ही करें ये उपाय

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नक्षत्र (Nakshatra) – पुनर्वसु नक्षत्र

  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति (पृथ्वी देवी), बृहस्पति, एवं नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति जी है ।  

पुनर्वसु अर्थ पुन: शुभ या पुन: बसना होता है। पुनर्वसु नक्षत्र आकाश मंडल में  7वां नक्षत्र है ।

ज्योतिषशास्त्र में पुनर्वसु नक्षत्र को सबसे बड़ा और बहुत ही शुभ माना जाता है । यह मर्यादा पुरषोतम भगवान श्री राम जी का जन्म नक्षत्र है। मान्यता है कि पुनर्वसु जातक के यहा केवल पुत्र ही होता है।

माना जाता है कि जिसका जन्म इस नक्षत्र में होता है, वे दूसरों की सेवा करने, भलाई करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं । पुनर्वसु प्रत्येक कार्य के शुभारम्भ के लिए, नयी शुरुआत के लिए श्रेष्ठ होता है। 

पुनर्वसु नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: बांस / बांबू और नक्षत्र का स्वभाव चर माना गया है ।

इस नक्षत्र  में जन्मे जातक व्यव्हार कुशल, शांत, परोपकारी, धार्मिक,सुखी, दानी, न्यायप्रिय, लोकप्रिय, पुत्रवान होते हैं।

लेकिन यदि गुरु, बुध और चन्द्रमा शुभ ना जो तो ऐसा जातक कामुक, दब्बू,, बुद्धिहीन, कंजूस और थोड़े में ही संतुष्ट रहने वाला होता है।

इस नक्षत्र की स्त्रियां शांत लेकिन अकस्मात उग्र होने वाली, विलासी जीवन जीने वाली, कामुक, सौन्दर्यप्रेमी और आशावादी मानी जाती  है ।

पुनर्वसु नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3, भाग्यशाली रंग, सुनहरा, भाग्यशाली दिन गुरुवार का माना जाता है ।

पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ आदित्याय नम:”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

नवरात्री के दिन बहुत ही सिद्ध और शक्ति संपन्न होते है, नवरात्री के इस उपाय से मिलेगी सभी कार्यों में श्रेष्ठ सफलता, जानिए नवरात्री के अचूक उपाय 

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 
  • योग(Yog) – सुकर्मा 23.09 PM तक तत्पश्चात धृति
  • योग के स्वामी :-    सुकर्मा योग के स्वामी इंद्र जी और स्वभाव शुभ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – वणिज 12.11 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-     वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।

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  • द्वितीय करण : – विष्टि
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए  । इस दिन ताड़ का सेवन करने से रोग लगते है ।
  • पर्व त्यौहार- नवरात्री का सातवाँ दिन । जय माँ कालरात्रि ।
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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