ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 27 मार्च 2024 का पंचांग,

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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
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बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


27 मार्च 2024 का पंचांग, ( Panchang ), 27 March 2024 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

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*विक्रम संवत् 2080,
*शक संवत – 1945
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तरायण
*ऋतु – बसंत ऋतु
*मास – चैत्र माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

बुधवार को बुध की होरा :-

प्रात: 6.16 AM से 7.18 AM तक

दोपहर 01.28 PM से 2.29 PM तक

रात्रि 20.33 PM से 9.31 PM तक

बुधवार को बुध की होरा में हाथ की सबसे छोटी उंगली और बुध पर्वत को हल्के हल्के रगड़ते हुए अधिक से अधिक बुध देव के मन्त्र का जाप करें ।

ज्योतिष, पढ़ाई, लिखाई, सीखने, वाकपटुता, अपना प्रभाव डालने और व्यापार में सफलता के लिए बुध की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

बुधवार के दिन बुध की होरा में बुध देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

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बुध देव के मन्त्र

“ॐ बुं बुधाय नमः” अथवा

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।।”

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  • तिथि (Tithi) – द्वितीया 17.06 PM तक तत्पश्चात तृतीया
  • तिथि के स्वामी – द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्मा जी और तृतीया तिथि की स्वामिनी माँ गौरी और कुबेर देव जी है ।

द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता भगवान ‘ब्रह्मा’ जी हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है।

सोमवार और शुक्रवार को द्वितीया तिथि मृत्युदा होती है।

लेकिन बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ होता है और यह सिद्धिदा हो जाती है, अर्थात इसमें किये गये सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं।

द्वितीया तिथि को चारो वेदो के रचियता ब्रह्मा जी का स्मरण करने से कार्य सिद्ध होते है।

व्यासलिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है।

ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।

देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि,नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।

ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।

द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न, वस्त्र आदि का दान देना बहुत शुभ माना गया है।

भारत के राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा जी का विश्व प्रसिद्द मंदिर है, ब्रह्मा जी की पूजा भारत में केवल यहीं पुष्कर तीर्थ के ब्रह्मा मंदिर में ही की जाती है । यहाँ पर ब्रह्मा जी के दर्शन पूजा से समस्त कार्य सिद्ध होने लगते है ।

ऐसा माना जाता है कि पुष्कर तीर्थ को स्वयं सृष्टि के हिंदू देवता ब्रह्मा द्वारा निर्मित किया गया था । इस तीर्थ में हर साल लाखो हिन्दू ब्रह्मा जी के दर्शन, उनकी पूजा करने के लिए आते है ।

शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शंकर जी माँ पार्वती के संग होते हैं इसलिए भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

लेकिन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान शंकर की पूजा करना उत्तम नहीं माना जाता है।

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नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा 16.16 PM तक तत्पश्चात स्वाति

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-    चित्रा नक्षत्र के देवता विश्‍वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है । 

चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्र देव जी है।  

यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है।  27 नक्षत्रों में चित्रा नक्षत्र सबसे ज्यादा चमकने वाला नक्षत्र भी बताया जाता है ।

चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है,  उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।

चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले पुरुष बहुत मेहनती होते हैं। इसके बावजूद सफलता प्राप्त करने में इन्हें 32 साल की उम्र तक संघर्ष करना पड़ता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।

चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9,  भाग्यशाली रंग, काला,  भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।

चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – व्याघात 22.54 PM तक तत्पश्चात हर्षण
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  व्याघात योग के स्वामी वायु देव एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – गर 17.06 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
  • द्वितीय करण : – वणिज
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.17 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.36 PM
  • विशेष – द्वितीया को बैगन, कटहल और नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • पर्व त्यौहार-

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“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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