शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 11 नवम्बर 2023 का पंचांग,
आप सभी को छोटी दीपावली / नरक चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनायें
Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग, 11 नवम्बर 2023 ka Panchang,
- Panchang, पंचाग, ( Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।
- शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
11 नवम्बर 2023 का पंचांग, 11 November 2023 ka Panchang,
- शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
- दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
- शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
अगर धन की लगातार परेशानी रहती है, धन नहीं रुकता हो, सर पर कर्ज चढ़ा तो अवश्य करें ये उपाय
- शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
- शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
इस बार शरद नवरात्री में माँ दुर्गा अपने इस वाहन पर सवार होकर आएगी और ऐसा रहेगा उसका फल
* विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
* कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायान,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह,
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
शनिवार को शनि महाराज की होरा :-
प्रात: 6.40 AM से 7.34 AM तक
दोपहर 12.59 PM से 1.53 PM तक
रात्रि 19.41 PM से 8.37 PM तक
शनिवार को शनि की होरा में अधिक से अधिक शनि देव के मंत्रो का जाप करें । श्रम, तेल, लोहा, नौकरो, जीवन में ऊंचाइयों, त्याग के लिए शनि की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
शनिवार के दिन शनि की होरा में शनि देव देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
शनि देव के मन्त्र :-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
अथवा
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
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- तिथि (Tithi)- त्रियोदशी 1.57 PM तक तत्पश्चात चतुर्दशी
- तिथि का स्वामी – त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी और चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है ।
आज दोपहर 1.57 PM तक त्रियोदशी तत्पश्चात चतुर्दशी, मासिक शिवरात्रि / छोटी दीपावली, नरक चतुर्दशी / रूप चतुर्दशी का पर्व है ।
आज दोपहर 1.57 PM तक त्रियोदशी तत्पश्चात चतुर्दशी, मासिक शिवरात्रि / छोटी दीपावली, नरक चतुर्दशी / रूप चतुर्दशी का पर्व है ।
मान्यता है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि दीपावली से एक दिन पहले, भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का बध किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं।
इस दिन भगवान श्री कृष्ण, माता लक्ष्मी जी और यमराज जी की पूजा की जाती है । नरक चतुर्दशी / छोटी दीपावली के दिन 14 दिए जलाने चाहिए ।
नरक चतुर्दशी के दिन दक्षिण दिशा में यमराज जी के नाम से दिया जलाया जाता है। यह दिया पितरों के नाम का भी होता। इस दिन दक्षिण दिशा में दिया जलाने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
साथ ही यमराज जी के नाम का यह दीपक व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय ख्तम होता है।
आज के दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है । आज हनुमान जी को मीठा पान, इत्र नारियल अर्पित करने, प्रशाद चढ़ाने और चोला चढ़ाने से हनुमान जी प्रसन्न होते है, संकटो से छुटकारा मिलता है ।
इस दिन प्रात: स्नान से पहले तिल के तेल का उबटन लगाकर फिर स्नान करना चाहिए , स्नान से पूर्व वरुण देवता का ध्यान करते हुए जल में हल्दी और कुमकुम डालकर स्नान करना अत्यंत उत्तम माना गया है ।
स्नान से पूर्व तुम्बी ( लौकी का टुकड़ा ) और अपामार्ग ( आठ उंगली लकड़ी का टुकड़ा )इन दोनों को अपने सर के चारों ओर सात बार घुमाएँ इससे नरक का भय समाप्त होता है । साथ ही यह कहें हे तुम्बी , हे अपामार्ग आप बार – बार फिराएं जाते हो , आप मेरे पापों को दूर करों ओर कुबुद्धि का नाश करों ।
स्नान के पश्चात् इस तुम्बी ओर अपामार्ग को घर के दक्षिण दिशा में विसर्जित कर देना चाहिए ।
आज मासिक शिवरात्रि है । इस दिन भगवान भोलेनाथ जी की पूजा का विधान है ।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव चतुर्दशी / मासिक शिवरात्रि के दिन आराधना-अभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते है, शिव भक्त को जीवन के सभी सुखो की प्राप्ति होती है।
आज के दिन भगवान शंकर जी का दूध या पंचामृत से अभिषेक करके शिवलिंग पर बेल पत्र, शमी पत्र, सफ़ेद पुष्प चढ़ाने से भगवान शंकर जी की असीम कृपा बरसती है ।
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नक्षत्र (Nakshatra) – चित्रा
नक्षत्र के स्वामी :- चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।
चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्रमा जी है।
यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है।
चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है, उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं।
इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।
चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है ।
चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
- योग (Yog) – प्रीति 16.59 PM तक तत्पश्चात आयुष्मान
- योग के स्वामी, स्वभाव :- प्रीति योग के स्वामी विष्णु एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
- प्रथम करण : – वणिज 1.57 PM तक
- करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
- द्वितीय करण : – विष्टि
- करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
- गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
- सूर्योदय – प्रातः 06:40 AM
- सूर्यास्त – सायं 17:30 PM
- विशेष : चतुर्दशी के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है ।
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- पर्व त्यौहार- छोटी दीपावली / नरक चतुर्दशी
- मुहूर्त (Muhurt) –
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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