ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

महापद्म नामक कालसर्पयोग के दोष और उपाय

            

महापद्म नामक कालसर्पयोग के दोष और उपाय

षष्टम स्थान से व्यय स्थान तक के ग्रहों की स्थिति के कारण महापद्म नामक कालसर्पयोग बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति रोगी रहता है। यात्राऐं बहुत करता है पर सफलता मिलती नहीं। जातक से स्वंय का चरित्र संदेहास्पद रहता है। आत्मबल कमजोर रहता है। तथा नैराश्य की भावना विशेष बनी रहती है। चाहे कितना ईलाज कराये,बीमारी ठीक नही होती।कार्य स्थिरता नही रहती। गुप्त शत्रु सदा परेशान कराये,बीमारी ठीन नही होती। कार्य में स्थिरता नहीं रहती। गुप्त शत्रु सदा परेशान करते रहेगे। कार्य में बाधा एवं निरन्तर संघर्ष के कारण जीवन कष्टमय रहेगा।

महापदम काल सर्प दोष या योग किसी जातक की कुंडली में एक बहुत ही बुरी स्थिति है|

जिससे बहुत बुरे परिणाम और गरीबी व्यक्ति के जीवन में आती है|

इसलिए जातक को कालसर्प योग पूजा के लिए एक शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए |

इस पूजा को अकेले या दंपत्ति के साथ किया जा सकता है |

बच्चे भी पूजा का हिस्सा बन सकते हैं यदि उनके लिए भी टिकट खरीदा गया हो |

लेकिन वह सबसे आगे नहीं बैठ सकते |

कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब कुंडली के सात ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते ।

राहु और केतु के बीच ग्रहों के स्थान के अनुसार कालसर्पयोग में 12 प्रकार का हो सकता हैं।

हालांकि, यह योग अन्य विनाशकारी योग की तुलना में भी अधिक भयावह है।

  • महापद्म काल सर्प दोष से जातक को जीवन में कई प्रकार के व्यवधान हो सकते हैं। इससे विवाहित जीवन में समस्याएं आती हैं, अस्पताल आना जाना होता हैं, कानूनी मामलों में उलझते हैं, कारावास और वित्तीय ऋण होते हैं।
  • व्यक्ति अपने दांपत्य जीवन में बड़ी से बड़ी समस्याओं का सामना कर सकता है। यह कुंडली में दोष के प्रभाव पर निर्भर करता है।
  • दुर्व्यवहार अनिद्रा का मुख्य कारण है और ज्यादातर यही तलाक का मुख्य कारण भी हो सकता है।
  • इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को अपने जीवनसाथी व परिवार से दूर विदेश में रहना पड़ सकता है।
  • जातक वित्तीय ऋणों से घिर जाता है और यह उसकी कुछ बुरी आदतों के कारण होता है, जैसे दोस्तों से ऋण लेना, अस्थायी विलासिता, आराम की चीज़ों पर , जुए पर धन बर्बाद करना।
  • व्यक्ति को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, प्रतिद्वंद्वियों की संख्या और नींद संबंधी विकार बढ़ सकते हैं।
  • लोगों को लगभग एक लाख पच्चीस हजार बार महामृत्युंजय मंत्र जाप करना चाहिए। और भगवान शिव की कालसर्प पूजा करें।
  • उन्हें श्रवण मास के समय लगभग 30 दिनों तक भगवान शिव की दूध और जल से स्तुति करनी चाहिए। यह दोष के बुरे परिणामों को कम करता है।
  • नागपंचमी या शिव रात्रि में 14 नाग चांदी के नाग नागिन, दूध, दही, चावल, शक्कर, घी, सफेद चंदन, फल, अकोड़ा के फूल, भगवान शिव को कमल के फूल चढ़ाएं।
ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

             समंर्प सूत्र: आचार्य जी का 
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