शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 30 दिसंबर 2022 का पंचांग,
गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 30 December 2022 ka Panchang,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, शुक्रवार का पंचांग, Shukravar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
30 दिसंबर 2022 का पंचांग, 30 December 2022 ka Panchang,
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- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2079 ,
- * शक संवत – 1944,
*कलि संवत – 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – पौष माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,
- तिथि, (Tithi) :- अष्टमी 18.33 PM तक तत्पश्चात नवमी
- तिथि के स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और नवमी तिथि की स्वामी माँ दुर्गा जी है।
अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है ।
अष्टमी तिथि जया तिथि कहलाती है। अष्टमी तिथि का नाम कलावती भी कहा गया है।
मान्यता कि अष्टमी तिथि में किये गए कार्यो में सफलता मिलती है । लेकिन चैत्र महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली अष्टमी तिथि शून्य कही गई है।
अष्टमी तिथि को पूजा में भगवान शिव को नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।
अष्टमी तिथि को ॐ नम: शिवाये मन्त्र का अधिक से अधिक जाप अवश्य करें ।
अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।
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नक्षत्र ( Nakshatra ) : उत्तरा भाद्रपद 11.24 AM तक तत्पश्चात रेवती
नक्षत्र के स्वामी :– उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुंधन्य देव, स्वामी शनि देव जी एवं वहीं राशि स्वामी गुरु है।
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26वां नक्षत्र है। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र वैवाहिक आनंद, सुख समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। यह प्रकाश की किरण, संसार को खुशियों का आशीर्वाद देता है।
शनि और गुरु में शत्रुता है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के जातको पर जीवन भर शनि और गुरु का प्रभाव रहता है ।
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : नीम तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र सितारे का लिंग पुरुष है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।
इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए, इनको पीपल की सदैव / विशेषकर शनिवार को तो अवश्य ही सेवा करनी चाहिए ।
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उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को इस नक्षत्र देवता के नाममंत्र:- ॐ अहिर्बुंधन्याय नमःl मन्त्र की माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी 4 माह की योग निद्रा से जागते है, इस दिन इस उपाय से समस्त मनोकामनाएँ होती है पूर्ण,
योग(Yog) :- वरीयान 9.46 AM तक तत्पश्चात परिध
योग के स्वामी, स्वभाव :- वरीयान योग के स्वामी कुबेर देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
प्रथम करण : – बव 18.33 PM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
द्वितीय करण :- बालव
करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है ।
यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 07:13
- सूर्यास्त – सायं : 17:34
- विशेष – अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए, अष्टमी को नारियल का सेवन करने से बुध्दि का नाश होता है।
- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
तुलसी जी को “विष्णु प्रिया” कहा गया है, बिना तुलसी जी के विष्णु जी की पूजा पूर्ण नहीं होती है, तुलसी विवाह के महत्त्व जानने से समस्त पापो का नाश होता है,
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।30 दिसंबर 2022 2022 का पंचांग, 30 December 2022 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग,
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