ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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हिन्दू धर्म में ग्रहण को प्रमुख खगोलीय, ज्योतिषीय घटना माना जाता है और ग्रहण का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। ग्रहण काल में किये गए चंदग्रहण के उपाय, chandr grahan ke upay, जप, तप, ध्यान, दान आदि का समान्य दिनों से लाखो गुना पुण्य मिलता है, पापो का नाश होता है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में हर मनुष्य को पुण्य अवश्य ही अर्जित करना चाहिए।

हमारे ऋषि मुनियों, ज्योतिषियों ने कई ऐसे उपाय बताये है जिन्हे करने से चंद्रग्रहण, chandra grahan, सूर्यग्रहण का कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, सर्व कार्य सिद्ध होते है।

ग्रहण प्रारंभ- 08 नवंबर, दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से

ग्रहण मध्य- अपराह्न 04 बजकर 29 मिनट पर

ग्रहण मोक्ष समाप्त- शाम 06 बजकर 20 मिनट पर

वर्ष 2022 का अंतिम चंद्र ग्रहण भारत में 08 नवंबर को शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा और शाम 06 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा I चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले इसका सूतक काल शुरू हो जाता है I

शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है I अतः ú8 नवंबर को लगने जा रहे चंद्र ग्रहण का सूतक काल सुबह 8 बज कर 21 मिनट से लग जायेगा I

.भारत में यहाँ दिखेगा चंद्र ग्रहण :-

साल का अंतिम चंद्र ग्रहण जो 08 नवंबर, मंगलवार को लगेगा, यह चंद्र ग्रहण भारत के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा I यह चंद्र ग्रहण पूर्वोत्तर भारत, मध्य भारत और दक्षिण भारत में अधिकांश जगह देखा जा सकेगा I

भारत के अतिरिक्त इन देशों में दिखेगा चंद्र ग्रहण :-

08 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत के अलावा उत्तरी/पूर्वी यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश हिस्से, पेसिफिक, आर्कटिक, अंटार्कटिका, अटलांटिक और हिंद महासागर के क्षेत्रों में भी दिखाई देगा I

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मत्स्य पुराण और नारद पुराण में ग्रहण काल से संबंधित कई अहम जानकारियां दी गई हैं।

* चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा वाले दिन लगते हैं।
* सूर्य ग्रहण केवल अमावस्या वाले दिन लगते हैं।
* सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण से हमेशा दो सप्ताह पूर्व या बाद में लगता है।
* चंद्र ग्रहण की सर्वाधिक अवधि 3 घंटा 40 मिनट तक की हो सकती है।
* सूर्य ग्रहण की सर्वाधिक अवधि 7 मिनट 40 सैकेंड हो सकती है…आदि ।

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हमारे धर्म और ज्योतिष के अनुसार चन्द्रग्रहण Chandra Grahan का प्रभाव अलग अलग राशियों में अलग अलग प्रभाव होता है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी पूर्णिमा के दिन समुद्र ज्वार आता ही है। समुद्री हलचल होती ही है जिसके परिणाम स्वरूप प्राकृतिक आपदाएँ आने की प्रबल संभावनाएँ भी होती हैं।
बहुत से मनुष्यों में भी बेचैनी, घबराहट , चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है लोग जल्दी क्रोधित हो जाते है ।

चंद्र ग्रहण के दिन अपने जीवन की समस्त अस्थिरताओं को दूर करने के लिए एक आसान सा उपाय अवश्य ही करें ।

चंद्र ग्रहण के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर सबसे पहले “श्री शिवाये नमस्तुभ्यं” मन्त्त्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर पंचामृत अथवा मीठा कच्चा दूध चढ़ाकर फिर सादा जल चढ़ाएं तत्पश्चात शिवलिंग पर गन्ने का रस या आंवले का रस चढ़ाकर एक बार फिर से सादा जल चढ़ाएं।

यह बहुत ही रामबाण उपाय है। इस उपाय को करने से भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होगी, निश्चय ही समस्त संकट दूर होंगे । ऐसा करने से चन्द्रमा मजबूत होगा कुंडली में काल सर्प दोष, पितृ दोष दूर होगा ।

शास्त्रों के अनुसार चन्द्रग्रहण Chandra Grahan के समय किये जाने वाले जाप, दान और स्नान का लाखो गुना फल मिलता है और कुंडली के दोष भी कटते है ।

चंद्रग्रहण काल के समय अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है । धार्मिक लोग इस समय का बहुत ही बेताबी से इंतज़ार करते है और इसका निश्चित ही लाभ उठाते है । इस समय में किया गया दान, जप, ध्यान का फल पूरे वर्ष में किये गए पुण्य से बहुत ही ज्यादा होता है ।

भगवान वेदव्यास जी ने कहा है कि – सामान्य दिन से चंद्र ग्रहणमें किया गया मानसिक जप , तप, ध्यान, दान आदि एक लाख गुना और सूर्य चंद्र ग्रहणमें दस लाख गुना फलदायी होता है।
और यदि यह गंगा नदी के किनारे किया जाय तो चंद्र ग्रहणमें एक करोड़ गुना और सूर्यचंद्रग्रहणमें दस करोड़ गुना फलदायी होता है।

चन्द्रग्रहण Chandra Grahan के काल के दौरान व्यक्तियों को यथा संभव घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण के दर्शन करने चाहिए यदि चंद्र ग्रहण देखना हो तो जल में चंद्र ग्रहण के प्रतिबिम्ब देख सकते है । गर्भवती महिलाओं को तो ग्रहण का दर्शन बिलकुल ही त्याज्य है।

चन्द्रग्रहण Chandra Grahan को ज्योतिष के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्र देव की पूजा करने का विधान है।
मत्स्य पुराण में कहा गया है कि ग्रहण वाले दिन / ग्रहण काल के दौरान सभी व्यक्तियों को श्वेत पुष्पों और चन्दन आदि से भगवान चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।

चंद्रमा के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु चंद्रमा के वैदिक मंत्र का बिना किसी धार्मिक पुस्तक, मूर्ति को छुए बिना ज्यादा से ज्यादा जप करना चाहिए।.

”ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः “

”ऊँ सों सोमाय नमः “

मंत्रोच्चारण करने से ग्रहण के समय वातावरण में छायी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, घर में शुभ शक्तियों का वास होता है ।

चंद्रग्रहण Chandra Grahan के सूतक और चंद्रग्रहणकाल में स्नान, दान, जप, तप, पूजा पाठ, मन्त्र, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कार्यो का करना बहुत लाभकारी रहता है। धर्म सिन्धु के अनुसार, चंद्रग्रहणमोक्ष के उपरान्त पूजा पाठ, हवन, स्नान, छाया-दान, स्वर्ण-दान, तुला-दान, गाय-दान, मन्त्र जाप आदि श्रेयस्कर होते हैं।
चंद्रग्रहणके समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है।

चन्द्रग्रहण Chandra Grahan होने पर “ॐ नम: शिवाय” मन्त्र का जप परम फलदाई है, चंद्रग्रहण Chandra Grahan के समय इस मन्त्र का जप करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

चन्द्र ग्रहण के दोषों को दूर करने, शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए भगवान भोलेनाथ की आराधना से बढ़कर कुछ भी नहीं है। शिव पुराण में एक मंत्र दिया गया है, नित्य इसकी एक माला का जाप करने से जातक पर शंकर जी की असीम कृपा बनी रहती है।

शिव पुराण में दिया गया अमोघ मंत्र,
“श्री शिवाए नमस्तुभ्यम”

ग्रहण काल में इस मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें।

शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव होने पर अधिक से अधिक ” ॐ शं शनिचराये नम:” शनि मंत्र का जाप करें, हनुमान जी के मन्त्र एवं हनुमान चालीसा का भी पाठ करें।

चंद्र ग्रहणके समय ग्रहों का अशुभ फल समाप्त करने और विशेष मंत्र सिद्धि के लिये नवग्रह मन्त्र , गायत्री मन्त्र एवं महामृत्युंजय आदि शुभ मंत्रों का जाप करें।

चंद्रग्रहण Chandra Grahan के समय व्यक्ति को वास्तु देवता के मंत्र “ॐ वास्तु पुरुषाय नम:” का अधिक जाप करना चाहिए। इस उपाय से वास्तु पुरुष की कृपा मिलती है और घर के वास्तुदोष दूर होते है।

मान्यता है कि किसी भी ग्रहण के दौरान सूर्य ग्रहण में सूर्य की किरणे, और चंद्र ग्रहण में चन्द्रमा की रश्मियाँ पृथ्वी पर अपना नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं, जिसका प्रभाव पूरे वायुमण्डल में पड़ता है मनुष्य तो मनुष्य हमारे आपके घर, प्रतिष्ठान पर भी ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से घर को बचाने के लिए ग्रहण से एक दिन पहले घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर में घी मिलाकर ॐ या स्वास्तिक का चिह्न बनाये ।

बाजार में गमलो को रंगने के लिए, रंगोली बनाने के लिए गेरू मिलता है, ग्रहण से पहले घर के मुख्य द्वार के पास , घर की छत पर एवं घर के आँगन में गेरु के टुकड़े बिखेर दें, और ग्रहण के बाद इसे झाड़ू से बटोर कर घर के बाहर फेंक दे। इस उपाय से घर पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है ।

चंद्रग्रहण मोक्ष होने पर सोलह प्रकार के दान, जैसे अन्न, जल, वस्त्र, फल, दूध, मीठा, स्वर्ण, चंद्रमा से संबंधित सफेद वस्तुएं जैसे मोती, चांदी, सफेद कपड़ा, चावल, मिश्री, शंख, कपूर, श्वेत चंदन, सफेद फूल, पलाश की लकड़ी, दही, चावल, घी, चीनी आदि का दान जो भी संभव हो सभी मनुष्यों को अवश्य ही करना चाहिए।

लेकिन जिन व्यक्ति का चन्द्रमा उच्च का हो उन्हें सफ़ेद वस्तुओं का दान बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । वह अन्न, वस्त्र, फल, पीली लाल मिठाई आदि का दान कर सकते है ।

ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पांडेय 9425203501
कुण्डली, हस्त रेखा, वास्तु
एवं प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ

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