ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 3 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 3 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

आप सभी को नवरात्री की महा अष्टमी / दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 3 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

3 अक्टूबर 2022 का पंचांग, 3 October 2022 ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – अश्विन माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन।

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  • तिथि (Tithi)- अष्टमी 16.37 PM तक तत्पश्चात नवमी
  • तिथि का स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी हैI 

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।

 अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है ।

अष्टमी तिथि जया तिथि कहलाती है। अष्टमी तिथि का नाम कलावती भी कहा गया है।

अष्टमी तिथि को  पूजा में  भगवान शिव को नारियल का भोग अर्पित करें।

अष्टमी तिथि को ॐ नम: शिवाये मन्त्र का अधिक से अधिक जाप अवश्य करें ।

अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

जय माँ श्री महा गौरी

माँ दुर्गा जी का अष्टम रूप माँ श्री महा गौरी जी का है,चूँकि इस रूप में माँ का वर्ण पूर्णता गौर है इसलिए इन्हे माँ गौरी के नाम से जाना जाता है।

इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है ! इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत है । इनकी चार भुजाएं है ! इनका वाहन वृषभ है ।

इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय – मुद्रा और नीचें वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है । ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचें के बाएं हाथ में वर – मुद्रा है ।

इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है, नवरात्र के आठवें दिन भक्त गण माँ के इस रूप की साधना आराधना अर्चना आदि करते हैं माँ महागौरी का ध्यान – स्मरण पूजन – आराधना भक्तों के लिए सर्वविध कल्याणकारी है । हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए ।

इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है । माँ के इस रूप ध्यान करने से भक्तो के समस्त कार्य सिद्ध हो जाते है,उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है,

नवरात्रि की अष्टमी तिथि मां दु्र्गा की तिथि मानी गई है इसे महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है । शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर मां दुर्गा की पूजा करने, कन्या पूजन करने से मां जल्दी प्रसन्न होती हैं।

महाष्टमी पर 02 से 10 साल तक की आयु की कन्यायों के पैर धोकर उनकी उनकी पूजा करके उन्हें भोजन कराया जाता है।

अष्टमी तिथि पर हवन भी किया जाता है। हवन करने से घर के आसपास मौजूद सभी नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाती है।

हे माँ महा गौरी आप अपने बच्चो पर कृपा रखते हुए उनकी हर मनोकामनाएँ पूर्ण करे,

नवरात्रि में आठवें दिन इस मंत्र जाप करना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महा गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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  • नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्वाषाढ़ा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-   पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है। 

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 20वें नंबर का नक्षत्र है। ‘पूर्वाषाढ़ा’ का अर्थ है ‘विजय से पूर्व’। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता) और स्वामी शुक्र देव है ।

शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक आकर्षक, प्रेम करने वाला, तथा जिंदादिल इंसान होता है। यह हाथी दांत या हाथ का पंखा जैसा नज़र आता है जो कि शक्ति और विजय को दर्शाता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का लिंग पुरुष है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष वेत और नक्षत्र का स्वभाव उग्र माना गया है ।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 6, भाग्यशाली रंग, काला, गहरा भूरा, भाग्यशाली दिन रविवार, शनिवार, शुक्रवार और गुरुवारका माना जाता है ।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ पूर्वाषाढाभ्यां नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

जीवन में निरंतर शुभ समय के लिए पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को माँ लक्ष्मी, माँ ललिता और देवी त्रिपुर सुंदरी की पूजा उपासना करनी चाहिए. ।

लक्ष्मी सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम, कनकधारा स्त्रोत, महालक्ष्मी अष्टक का पाठ करना जातक के लिए कल्याणकारी होता है. ।

इसके अतिरिक्त पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर जी की आराधना भी बहुत शुभ फलदाई होती है ।

अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्री की अष्टमी पर अवश्य करें ये उपाय प्राप्त

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  • योग(Yog) – शोभन 14.22 PM तक तत्पश्चात अतिगण्ड
  • योग के स्वामी :- शोभन योग के स्वामी बृहस्पति देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ है, अतिगण्ड योग के स्वामी चंद्र देव जी लेकिन स्वभाव हानिकारक है ।
  • प्रथम करण : – बव 16.37 तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – बालव
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष –
  • पर्व त्यौहार- नवरात्री की अष्टमी
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 9425203501 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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