ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 22 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग, Shaniwar Ka Panchang, 22 अक्टूबर 2022 का पंचांग,

शनिवार का पंचांग

आप सभी को धनतेरस के पर्व की हार्दिक शुभकामनायें


Shaniwar Ka Panchang, शनिवार का पंचांग22 October 2022 ka Panchang,

  • Panchang, पंचाग, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)


पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang), आज का पंचांग, aaj ka panchang,।

  • शनिवार का पंचांग, (Shanivar Ka Panchang, )
    22 अक्टूबर 2022
     का पंचांग, 22 October 2022 ka Panchang,
  • शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
    ।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
  • दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
  • शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
  • शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए

    शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती हैशनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।

* विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
* कलि संवत 5124,
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – 
कार्तिक माह,
* पक्ष – 
कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मिथुन, कर्क. तुला, धनु, कुम्भ, मीन,।

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  • तिथि (Tithi)- द्वादशी 18.02 PM तक तत्पश्चात त्रयोदशी
  • तिथि का स्वामी – द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी और त्रियोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी है।

हिंदू पंचाग की बाहरवीं तिथि द्वादशी (Dwadashi) कहलाती है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि, श्री विष्णु जी है ।

इस तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का आंवले, इलाइची, पीले फूलो से पूजन करने से यश, बल और साहस की प्राप्ति होती है।

द्वादशी को श्री विष्णु जी की पूजा , अर्चना करने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखो और ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है, उसे समाज में सर्वत्र आदर मिलता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है।

द्वादशी तिथि के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यन्त श्रेयकर होता है। द्वादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

भगवान विष्णु के भक्त बुध ग्रह का जन्म भी द्वादशी तिथि के दिन माना जाता है। इस दिन विष्णु भगवान के पूजन से बुध ग्रह भी मजबूत होता है ।

द्वादशी तिथि में विष्टि करण होने के कारण इस तिथि को भद्रा तिथि भी कहते है।

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शुभ धनतेरस

कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में धनतेरस का पर्व 22 अक्टूबर शनिवार और 23 अक्टूबर रविवार दोनों ही दिन मनाया जा रहा है। धनतेरस दीपावली के 5 पर्वो में सबसे प्रथम पर्व है। यह पाँचो दिन अत्यंत शुभ और पुण्यदायक माने गए है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन के दौरान, आरोग्य के देवता, भगवान श्री विष्णु जी के अवतार “वैध राज भगवान धन्वन्तरि” अपने हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसीलिए इस दिन को धनतेरस के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

चूँकि धन्वन्तरि जी अपने हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसी कारण धनतेरस के दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए बर्तन खरीदा जाता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन जिस चीज को भी ख़रीदा जाता है उसमें तेरह गुणा बढ़ोतरी होती है।

मान्यता है कि भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के ठीक दो दिन बाद मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, इसी कारण दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस मनाने की परंपरा शुरू हुई है।

धनतेरस के दिन भगवान कुबेर जी, का भी पूर्ण श्रद्धा से पूजन करना अनिवार्य है, इससे कभी भी धन की कमी नहीं होती है ।

इस दिन से दीपावली के पांचों दिनों तक संध्या के समय घर के बाहरी मुख्य द्वार के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिटटी के दीपक को तेल से भर कर अवश्य ही जलाना चाहिए ।

धनतेरस के दिन सोने, चाँदी विशषकर पीतल की खरीद करने से घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है । बर्तनो, धातुओं से सम्बंधित चीजों को शनिवार की जगह रविवार को ही खरीदें ।

आज शनिवार को धनतेरस के दिन यह चीज़ खरीदने से घर में धन का आगमन होने लगेगा, आय में बरकत होगी घर में धन का टिकना शुरू हो जायेगा ।

छोटी दीपावली पर अवश्य ही करे ये उपाय, पूरे वर्ष होती रहेगी धन की वर्षा

नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्वाफाल्गुनी 13.50 PM तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी

नक्षत्र के स्वामी :- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (धन व ऐश्वर्य के देवता) और स्वामी शुक्र देव जी है।

आकाश मंडल में पूर्वा फाल्गुनी को 11वां नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक बिस्तर के सामने के दो पैर हैं जो आराम, अच्छे भाग्य का भी प्रतीक है।

यह नक्षत्र सुख, धन, कामुक प्रसन्नता, प्रेम और मनोरंजन को दर्शाता हैं।

इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पलाश तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवनभर सूर्य और शुक्र का प्रभाव बना रहता है।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चाकलेटी, हल्का भूरा, भाग्यशाली दिन शुक्रवार और रविवार माना जाता है ।

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ भगाय नमः”। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।

संकटो से रक्षा के लिए इस नक्षत्र के जातको को नित्य भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए । पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन माँ लक्ष्मी जी की आराधना से कभी भी धन की कमी नहीं होती है ।

धनतेरस के दिन इस उपाय से पूरे वर्ष घर कारोबार में प्रचुर मात्रा में धन आता रहेगा, धनतेरस के दिन अवश्य करें ये उपाय

अगर 50 की जगह 25, 60 की जगह 30 की उम्र चाहते है, जीवन में डाक्टर के पास ना जाना हो तो अवश्य करे ये उपाय   

  • योग (Yog) – ब्रह्म 17.13 PM तक तत्पश्चात इंद्र
  • योग के स्वामी, स्वभाव :-  ब्रह्म योग के स्वामी अश्विनी कुमार जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – तैतिल 18.02 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – गर
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है।
  • गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
    यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:26
  • सूर्यास्त – सायं 17:45
  • विशेष :- द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है। द्वादशी के दिन मसूर का सेवन वर्जित है।


नरक चतुर्दशी के दिन ऐसा करने से अंत में नर्क के दर्शन नहीं होते है

  • पर्व त्यौहार- धनतेरस
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

धनतेरस के दिन इन तीन अति शुभ योगो का हो रहा है निर्माण, धनतेरस के दिन इस समय करे पूजा, खरीददारी,

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

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