ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

भाई दूज कैसे मनाएं, Bhai dooj kaise manayen, भाई दूज 2022,


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भाई दूज कैसे मनाएं, Bhai dooj kaise manayen,

गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज या यम दीतिया मनाई जाती है । यह पांच दिवसीय दीपावली के पर्वो में अंतिम पर्व होता है। भाई दूज हिन्दुओं का बहुत ही प्रमुख पर्व है यह जानना अति आवश्यक है कि शास्त्रों के अनुसार भाई दूज कैसे मनाएं, Bhai dooj kaise manayen, ।

इस दिन प्रत्येक पुरुष को अपनी बहिन के घर भोजन करना चाहिए, अगर सगी बहन न हो तो रिश्ते की किसी भी बहन के यहाँ भोजन करना चाहिए।

इस दिन प्रत्येक व्यक्ति यदि विवाहित है तो अपनी पत्नी सहित अपने बहन के यहाँ जाये प्रेम से भोजन करें उसके बाद यथाशक्ति  अपनी बहन को भेंट दें और तिलक कराएँ तो उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है।

इस दिन सभी बहनों को अपने भाइयों को शुभ महूर्त में तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना करनी चाहिए ।

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इस दिन के लिए स्वयं यमराज ने कहा है की “जो व्यक्ति आज के दिन यमुना में स्नान करके बहन के घर उसका पूर्ण श्रद्धा से पूजन करके अपने तिलक करवाएंगे अपनी बहन को पूर्णतया संतुष्ट करेंगे उसके हाथ से बनाया भोजन प्रेम पूर्वक करेंगे वे कभी भी अकाल मर्त्यु को प्राप्त करके मेरे दरवाजे को नहीं देखेंगे ।”

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 यमराज जी कहते है की इस  दिन किसी भी पुरुष को अपने घर में किसी भी दशा में भोजन नहीं करना चाहिए ।

श्री सूर्य भगवान ने तो यहाँ तक कहा है की जो मनुष्य यम दीतिया के दिन बहन के हाथ का भोजन नहीं करता है उसके साल भर के सभी पुण्य नष्ट हो जाते है ।

आविवाहित  बहन के होने पर उसी बहन के हाथों का ही बना भोजन करना चाहिए ।

सनतकुमार संहिता में कहा गया है की जो स्त्री कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तथि  को अपने भाई को आदरपूर्वक बुलाकर सुरुचि पूर्वक भोजन कराती है तथा भोजन के बाद उसे पान खिलाती है वह सदा सुहागन रहती है, साथ ही ऐसी बहन के भाई को भी दीर्घ आयु की प्रप्ति होती है

इस लिए इस दिन बहन के हाथों से पान जरुर खान चाहिए ।

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ऐसी मान्यता है कि भाईदूज के दिन बहन और भाई के प्रेम को देखकर धर्मराज यम प्रसन्न होते हैं।

ऐसी मान्यता भी है कि इसी दिन पूरे ब्रह्मांड का हिसाब किताब रखने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ था। इसीलिए इस दिन कलम दवात की पूजा का भी बहुत महत्व है।

*भाई दूज शुभ मुहूर्त, Bhai Dooj Ka Shubh Muhurth*

वर्ष 2022 में कार्तिक अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण होने के कारण दीपावली का पर्व एक दिन पहले 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है इस कारण दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर की जगह 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी ।
इसलिए भाई दूज का पर्व 26 अक्टूबर बुधवार को मनाया जाय या 27 अक्टूबर गुरुवार को इसको लेकर बहुत भ्रांतियां है।

वर्ष 2022 में अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 42 से आरंभ होगी जो अगले दिन 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगी ।

26 अक्टूबर 2022 को भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त है इसलिए इस दिन भाई दूज का पर्व मनाना श्रेष्ठ रहेगा, वहीं 27 अक्टूबर को उदयातिथि में द्वितीया तिथि रहेगी इसलिए इस दिन 27 अक्टूबर को पूरे दिन भाई दूज के पर्व का मान रहेगा ।

इसलिए 27 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाना श्रेष्ठ रहेगा I

26 अक्टूबर को भाई दूज का शुभ पूजा : 26 अक्टूबर को प्रात: 11. 40 से 12. 20 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में,

तथा दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 33 तक,

बुधवार को दोपहर 3.02 मिनट से सांय 4.48 तक भी बहने अपने भाइयों को टीका लगा सकती है। 

बुधवार को दोपहर 12.00 बजे से दोपहर 1.32 मिनट तक राहुकाल है, राहुकाल में बहनो को अपने भाइयों को टिका नहीं लगाना चाहिए

*27 अक्टूबर का भाई दूज का शुभ मुहूर्त, 27 Otober ka Bhai Dooj Ka Shubh Muhurth*

27 अक्टूबर को भाई दूज का शुभ पूजा : 27 अक्टूबर को प्रात: 11.07 से 12.46 तक

27 अक्टूबर गुरुवार को सुबह 10.32 मिनट से दोपहर 1.22 मिनट तक चर और लाभ अमृत की चौघड़िया में बहनें अपने भाइयों को तिलक कर सकती है यह मुहूर्त लगभग 2.50 मिनट का रहेगा।

गुरुवार को दोपहर 1.30 बजे से दोपहर 3 बजे तक राहुकाल है, राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।


इस दिन बहनें घर के आंगन को गोबर से लीप कर अपने भाइयों को लकड़ी की चौकी / स्टूल / कुर्सी पर बैठाकर उसके माथे पर रोली का  तिलक लगाकर उसपर खील या अक्षत लगाती है, टीका लगवाते समय भाइयों का मुंह पूरब दिशा की तरफ होना चाहिए। 

कहीं कहीं पर भाइयों की आरती उतारने, उनके दाहिने हाथ  में कलावा बांधने की भी परंपरा है। बहन मंत्र पढ़ते हुए अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर अपने हाथ से उन्हें मीठा खिलाती है। 

लिंग पूरण में वर्णित है की जो कन्या / स्त्री इस दिन अपने भाई का पूजन करके उसको तिलक नहीं लगाती है उसका सम्मान नहीं करती है वह सात जन्म तक बिना भाई के ही रहती है ।

यदि इस दिन बहन के घर जाना सम्भव ना हो तो किसी नदी भी के तट पर या गाय माता को अपनी बहिन मानकर उसके समीप भोजन करना पुण्यदायक रहता है।

शास्त्रों के अनुसार भाई दूज / यम द्वितीया के दिन जो भाई-बहन यमुना नदी या किसी भी नदी में स्नान करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं होता है, नरक के दर्शन नहीं होते है।

*भाई दूज का मंत्र:*


गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को।
सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।। 


शास्त्रों के अनुसार तिलक लगवाकर भाई को अपनी बहन को वस्त्र, आभूषण या दक्षिणा देकर प्रसन्न करना चाहिए और बहन के चरण स्पर्श कर उससे आशीर्वाद लेना चाहिए। बहन छोटी हो या बड़ी उसके चरण स्पर्श करके उसका आशीर्वाद अवश्य ही लेना चाहिए। 

इस दिन बहने संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर अपने घर के बाहर रखती हैं।  

ऐसी मान्यता है कि यह करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन सांय काल यमराज को दीपक समर्पित करते हुए आसमान में चील उड़ता दिखाई देना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि बहनें अपनी भाई की लंबी आयु की जो कामना करती है उसे चील यमराज के पास जाकर उन्हें सुनाते है।

इसी दिन सायं काल घर को दीपकों से सजाकर 5 दिवसीय दीपावली के पर्व का समापन हो जाता है

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