ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 25 सितम्बर 2022 का पंचांग,

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रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

25 सितम्बर 2022 का पंचांग, 25 September 2022 ka Panchang,

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Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
25 सितम्बर
 2022 का पंचांग25 September 2022 ka Panchang,

नवरात्री में करनी है कलश की स्थापना, रखने है ब्रत, करना है माता को प्रसन्न तो ऐसे करें नवरात्री की तैयारी,

भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन –दक्षिणायन,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – अश्विन माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन,

  • तिथि (Tithi)- अमावस्या
  • तिथि के स्वामी :- अमावस्या के स्वामी पितृ देव जी है।

आज पितरो के उत्सव का समय सर्व पितृ दोष अमावस्या / महालया है। पितृ पक्ष के 15 दिन हमारे पितृ गण अपने लोक से अपने अपने घरो पर अपने वंशजो से उनके प्रति श्रद्धा, तर्पण एवं श्राद्ध आदि की उम्मीद से आते है। और जब उन्हें यह मिलता है तो वह प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाते है ।

मान्यता है कि यदि कोई जातक किसी भी कारण वश पितृ पक्ष में पितरो का श्राद्ध, उनका तर्पण, उनके निमित दान, ब्राह्मण भोजन आदि ना करा पाए तो भी वह यदि सर्व पितृदोष अमावस्या, के दिन कुछ उपाय करे तो भी उसको पूरे पितृ पक्ष का फल प्राप्त हो जाता है, उसके पितृ संतुष्ट, प्रसन्न हो जाते है।

पितृदोष अमावस्या के दिन हर श्राद्धकर्ता को अपने घर में दोपहर में प्रेम और श्रद्धा से ब्राह्मण भोजन अवश्य ही कराना चाहिए, भोजन के पश्चात ब्राह्मण देवता को अपनी सामर्थ्य के अनुसारपितरो के निमित दान और नकद दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद भी जरूर लें।

पितृदोष अमावस्या के दिन श्राद्ध, ब्राह्मण भोजन के बाद अपने पितरो से जाने अनजाने में हुई भूलो, गलतियों के लिए क्षमा अवश्य ही मांगे ।

इस दिन घर में जो भोजन बने उसमें गाय, कुत्ते, कोए और चीटियों का भोजन भी अवश्य ही निकल दें।

सर्व पितृ दोष अमावस्या को संध्या के समय घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ बाती का मुँह रखकर पितरो का स्मरण करते हुए उनके निमित तेल दीपक अवश्य ही जलाएं ।

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  • नक्षत्र (Nakshatra)-  – उत्तरा फाल्गुनी
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के देवता आर्यमन और स्वामी सूर्य, बुध देव जी है।

आकाश मंडल में उत्तरा फाल्गुनी को 12 वां नक्षत्र माना जाता है। ‘उत्तरा फाल्गुनी’ का अर्थ है ‘बाद का लाल नक्षत्र’।

यह एक बिस्तर या बिस्तर के पिछले दो पाए को दर्शाता है जो आराम और विलासिता के जीवन का प्रतीक है।

यह नक्षत्र रोमांस, कामुक, ऐश्वर्य, रोमांच और अनैतिक आचरण को प्रदर्शित करता है। इस नक्षत्र काआराध्य वृक्ष : पाकड़ तथा स्वाभाव शुभ माना गया है।

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर सूर्य और बुध का प्रभाव बना रहता है।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 12, भाग्यशाली रंग, चमकदार नीला, भाग्यशाली दिन बुधवार, शुक्रवार, और रविवार माना जाता है ।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ अर्यमणे नम: “। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – सिद्धि 6.34 AM तक तत्पश्चात व्यतिपात
  • योग के स्वामी :- शुभ योग के स्वामी भगवान गणेश जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ है तथा शुक्ल योग की स्वामी देवी पार्वती जी एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
  • प्रथम करण : – चतुष्पाद 15.21 PM
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- चतुष्पाद करण के स्वामी रूद्र और स्वभाव क्रूर है।
  • द्वितीय करण : – नाग
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- नाग करण के स्वामी नागदेव और स्वभाव क्रूर है।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:11
  • सूर्यास्त – सायं 18:14

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  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। शास्त्रों में इस दिन क्रोध – हिंसा करना, शारीरिक सम्बन्ध बनाना मना किया गया है।
  • पर्व त्यौहार- सर्व पितृ दोष अमावस्या
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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