ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, 14 सितम्बर 2022 का पंचांग,


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पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
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बुधवार का पंचांग (Budhwar Ka Panchang)


14 सितम्बर 2022 का पंचांग, ( Panchang ), 14 September 2022 ka Panchang,

गणेश गायत्री मंत्र :
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

* दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।

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बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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* बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।

बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।

गणेश उत्सव के 10 दिनों में नित्य अवश्य ही स्मरण करें भगवान भगवान गणपति जी के परिवार के सदस्यों का

*विक्रम संवत् 2079,
*शक संवत – 1944
*कलि संवत 5124
*अयन – उत्तारायण
*ऋतु – शरद ऋतु
*मास – अश्विन माह
*पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन,

  • तिथि (Tithi)- चतुर्थी 10.25 AM तक तत्पश्चात पंचमी
  • तिथि के स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी विघ्नहर्ता गणेश जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है।

आज चतुर्थी तिथि है। चतुर्थी तिथि के स्वामी देवताओं में प्रथमपूज्य भगवान गणेश जी माने गए हैं।

चतुर्थी को गणपित जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।

चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।

चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है 

चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।

किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है  ।

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नक्षत्र (Nakshatra) – अश्विनी 6.58 AM तक तत्पश्चात भरणी

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-   अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनीकुमार जी और नक्षत्र के स्वामी केतु जी है ।   

अश्विन नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र है और घोड़े के सिर का प्रतीक है। अश्विनी नक्षत्र साहस, जीवन, और शक्ति का प्रतीक है।

अश्विनी एक देवता नक्षत्र है जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह नाम अश्विनी-कुमारों से संबंधित है जो हिंदू देवता माने जाते हैं।

अश्विनी नक्षत्र का लिंग पुरुष है। अश्विन नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कुचला और स्वभाव शुभ माना गया है ।

अश्विनी नक्षत्र के जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 7 और 9, भाग्यशाली रंग पीला, मैरून, ऑरेंज, गुलाबी, एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार होता है ।

आज अश्विनी नक्षत्र के मंत्र “ॐअश्विनी कुमाराभ्यां नमः” का 108 बार जाप करें इससे अश्विनी नक्षत्र को बल मिलेगा।

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  • योग (Yog) – ध्रुव 6.18 AM तक तत्पश्चात व्याघात
  • योग के स्वामी, स्वभाव :- ध्रुव योग की स्वामी भूमि एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है और व्याघात योग के स्वामी वायु देव एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – बालव 10.25 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण की स्वामी ब्रह्म और स्वभाव सौम्य है।
  • द्वितीय करण : – कौलव 22.33 PM तक तत्पश्चात तैतिल
  • करण के स्वामी, स्वभाव :- कौलव करण के स्वामी मित्र और स्वभाव सौम्य है।
  • दिशाशूल (Dishashool)- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।

    इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal) : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 6.05 AM
  • सूर्यास्त – सायं 18.28 PM
  • विशेष – चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है।
  • पर्व त्यौहार-

पितृ पक्ष में पित्तरों के निमित जो भी वस्तुएं उन्हे अर्पित की जाती है वह उन्हें उनकी योनि के हिसाब से इस प्रकार होती है प्राप्त

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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