ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 18 जुलाई 2022 का पंचांग


सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 18 जुलाई 2022 का पंचांग

सभी शिव भक्तो को सावन के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनायें

18 जुलाई 2022 का पंचांग, 18 July 2022 ka Panchang,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 18 जुलाई 2022 का पंचांग,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायन,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – सावन माह,
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन।

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  • तिथि (Tithi)- पंचमी 8.56 AM तक तत्पश्चात षष्टी
  • तिथि का स्वामी – पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है। 

पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।

आज सावन के सोमवार के दिन पंचमी तिथि को भगवान शिव की आराधना परम फलदाई है। पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।

आज सावन के सोमवार और पंचमी तिथि के शुभ संयोग पर नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नमो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।

आज नागो के पौराणिक नाम “अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल” का आशिक से अधिक उच्चारण अवश्य ही करें।

पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।

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आज 18 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है। शास्त्रों के अनुसार भगवान भोलेनाथ जी की कृपा प्राप्त करने के लिए सावन का माह सर्वोत्तम माना गया है।

पुराणों में लिखित है कि जो भक्त सावन के सोमवार का व्रत रखते है, भगवान भोलेनाथ का पूरे विधि विधान से अभिषेक और पूजा करते है उसके समस्त कष्ट निश्चय ही दूर हो जाते हैं।

सावन के पहले सोमवार के दिन पंचमी तिथि, अति शुभ रवि योग और शोभन योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है । इस योग में भगवान भोलेनाथ की आराधना, व्रत, अभिषेक करने से सुख समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

आज भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग का दूध / पंचामृत से अभिषेक करें, उन्हें तिल, जौ, अक्षत, बेल पत्र, शमी पत्र, आक का पुष्प, नारियल अर्पित करके कपूर से आरती करें । इससे काल सर्प दोष दूर होता है, कुंडली में चन्द्रमा के भी शुभ फल मिलने लगते है।

सावन के समस्त सोमवार की रात्रि में शिव मंदिर में रात्रि में ऐसा दीपक जलाएं जो पूरी रात जलता रहे, इससे जीवन के समस्त अंधकार दूर होते है शुभ समाचार प्राप्त होते है ।

आज शुभ वचन बोले, क्रोध – हिंसा ना करें, प्रसन्न रहे जब भी समय मिले अधिक से अधिक “ॐ नम: शिवाये” मन्त्र का जाप करते रहे ।

  • नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्व भाद्रपद 12.24 PM तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं। 

नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है। पूर्वाभाद्रपद का अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक वाकपटु होते है उन्हें भाषण कला में निपुणता होती है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तारे का लिंग पुरुष है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का आराध्य वृक्ष: आंबा, आम, तथा स्वाभाव उग्र होता है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 8, भाग्यशाली रंग स्लेटी, भाग्यशाली दिन शनिवार और बुधवार है ।

पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातको को नित्य तथा अन्य सभी को आज नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ अजैकपदे नमः” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए।

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातको को भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए। उन्हें भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए , इससे जीवन में सभी संकट दूर रहते है ।

इस नक्षत्र में जन्मे जातको को काले कपड़े एवं चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए ।

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 

  • योग(Yog) – शोभन 15.26 PM तक तत्पश्चात अतिगण्ड
  • प्रथम करण : – तैतिल 8.54 AM तक
  • द्वितीय करण : – गर 20.15 PM तक तत्पश्चात वणिज
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – पंचमी को बेल खाना निषेध है, मान्यता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। 
  • पर्व त्यौहार-
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

अपने धर्म, अपनी संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए तन – मन – धन से अपना बहुमूल्य सहयोग करें । आप हमें अपनी इच्छा – सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि 6306516037 पर Google Pay कर सकते है ।
आप पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय. 9425203501
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