ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 16 मई 2022 का पंचांग,


सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang, 16 मई 2022 का पंचांग,

आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें

16 मई 2022 का पंचांग, 16 May 2022 ka Panchang,

सोमवार का पंचांग, Somwar Ka Panchang,

16 मई 2022 का पंचांग, 16 May 2022 ka Panchang,

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, ( Panchang 2022, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)

पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang।

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सोमवार का पंचांग, Somvar Ka Panchang,

महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

    सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।

सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

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*विक्रम संवत् 2079,
* शक संवत – 1944,
*कलि संवत 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – बैसाख माह,
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर ।

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  • तिथि (Tithi)- पूर्णिमा 9.43 AM तक तत्पश्चात प्रतिपदा
  • तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है। 

वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। आज ही के दिन भगवान बुद्ध का अवतरण माना जाता है ।

बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ ही हिंदू धर्मावलंबियों के लिए भी महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि हिंदु धर्म में महात्‍मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है।

उन्‍होंने ही बौद्ध धर्म की स्‍थापना की और पूरी दुनिया को शांति, प्रेम, ईमानदारी, मानवता का संदेश दिया।

इसी दिन महात्‍मा बुद्ध को बोधगया में बोधि वृद्वा के नीचे बुद्धत्‍व की प्राप्ति भी हुई थी।

पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।

पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

सोमवार के दिन पड़ने वाली पूर्णिमा के कारण इस का और भी महत्त्व बढ़ गया है। पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव जी है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए। इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।

पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।

पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

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इस वर्ष 2022 साल का पहला चंद्र ग्रहण आज 16 मई सोमवार को है। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक भी मान्य नहीं होगा।

16 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण है जो दुनियाभर के कई देशों में नजर आएगा, वैज्ञानिक इसे ‘ब्लड मून’ भी कह रहे हैं।

चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार सुबह 7.02 से शुरू होकर दोपहर 12.20 पर खत्म होगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे 18 मिनट की होगी ।यह चंद्र ग्रहण विशाखा नक्षत्र में लगेगा।

यह चंद्र ग्रहण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्थ अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप के बहुत से स्थानों, प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर समेत अंटार्कटिका और एशिया में भी कुछ जगहों से दिखाई देगा।

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  • नक्षत्र (Nakshatra)- विशाखा 1.18 PM तक तत्पश्चात अनुराधा
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-    विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्राग्नी (इंद्र और अग्नि) और स्वामी बृहस्पति देव जी है। 

विशाखा नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 16वां है।

विशाखा नक्षत्र देवी राधा के साथ सम्बंधित है जो उनकी प्रसन्नता को दर्शाता है, भगवान श्री कृष्ण के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।

विशाखा नक्षत्र वास्तव में पत्तियों से सजाया गया एक तोरण द्वार का प्रतीक है, जिसका मुख्य रूप से विवाह समारोहों में आवश्यकता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : कटाई, नागकेशर तथा स्वाभाव अशुभ माना गया है। विशाखा नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर बृहस्पति देव जी का प्रभाव बना रहता है।

विशाखा नक्षत्र वाले जातको के लिए भाग्यशाली संख्या 3 और 9,  भाग्यशाली रंग, सुनहरा,  भाग्यशाली दिन  मंगलवार, शुक्रवार और गुरुवार माना जाता है ।

विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ इंद्राग्नीभ्यां नमः” अथवा “ॐ विशाखाभ्यां नमः”। मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

  अगर पश्चिम मुख का है आपका घर तो ऐसा रहना चाहिए आपके घर का वास्तु, जानिए पश्चिम दिशा के अचूक वास्तु टिप्स 

  • योग(Yog) – वरीयान 6.18 AM तक तत्पश्चात परिध
  • प्रथम करण : – बव 9.45 AM तक
  • द्वितीय करण : – बालव 20.06 PM तक तत्पश्चात कौलव
  • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
  • विशेष – पूर्णिमा के दिन कलह – क्रोध नहीं करें, पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए ।।     
  • पर्व त्यौहार- बुद्ध पूर्णिमा / चंद्र ग्रहण
  • मुहूर्त (Muhurt) –

“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय 9425203501
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