शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag, 6 मई 2022 का पंचांग,
गुरुवार का पंचांग शनिवार का पंचांग
शुक्रवार का पंचांग, Shukrwar ka panchag,
6 मई 2022 का पंचांग, 6 May 2022 ka Panchang,
शुक्रवार का पंचांग, shukrwar ka panchang,
- Panchang, पंचाग, Panchang 2021, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang, पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी नित्य पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए, शुक्रवार का पंचांग, Shukravar Ka Panchang, आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- महालक्ष्मी मन्त्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
आज का पंचांग, aaj ka panchang,
- दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
- *विक्रम संवत् 2079 ,
- * शक संवत – 1944,
*कलि संवत – 5124
* अयन – उत्तरायण,
* ऋतु – ग्रीष्म ऋतु,
* मास – बैसाख माह
* पक्ष – शुक्ल पक्ष
*चंद्र बल – वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन,
- तिथि, (Tithi) :- पंचमी 12.32 PM तक तत्पश्चात षष्टी
- तिथि के स्वामी – पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है।
पञ्चमी तिथि के स्वामी नाग देवता और षष्टी तिथि के स्वामी भगवान शंकर के पुत्र भगवान कार्तिकेय जी है।
पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।
पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है, मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश में निवास करते हैं। पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।
पंचमी जब शनिवार के दिन होती है, तो वह मृत्युदा योग बनाती है। यह अशुभ योग माना गया है।
जब पंचमी तिथि गुरुवार के दिन होती है तो बहुत ही शुभ सिद्धिदा योग बनता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्धिदा योग में किए गए कार्य श्रेष्ठ फल प्रदान करते है।
प्रत्येक पंचमी के दिन नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नमो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।
पंचमी को नागो के पौराणिक नाम अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें।
पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।
पंचमी को बेल खाना निषेध है, मान्यता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।
परिवार में सुख शांति चाहते है तो अवश्य ही करें ये उपाय,
नक्षत्र ( Nakshatra ) : आद्रा 9.20 AM तक तत्पश्चात पुनर्वसु
नक्षत्र के स्वामी :– आद्रा नक्षत्र के देवता रुद्र (शिव) और नक्षत्र के स्वामी राहु जी है ।
आर्द्रा नक्षत्र आकाश मंडल में छठवां नक्षत्र है। यह मिथुन राशि में आता है और राहु का नक्षत्र है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है।
इसका आकार हीरे अथवा वज्र अथवा आँसू की तरह है। आद्रा नक्षत्र का आराध्य वृक्ष कृष्णागरू,काला तेंदू और नक्षत्र स्वभाव तीक्ष्ण माना गया है ।
आद्रा नक्षत्र में जन्मे जातको पर राहु का प्रभाव रहता है अत: इन्हे राहु का उपाय अवश्य करना चाहिए । इन्हे अनैतिक कार्यो से सदैव दूर रहना चाहिए अन्यथा इन्हे अपमान अपयश का सामना करना पड़ सकता है ।
आद्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 2, 4, 7 और 9, भाग्यशाली रंग, लाल और बैंगनी, भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।
आद्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन आद्रा नक्षत्र हो उस दिन ॐ रुद्राय नम: मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे आद्रा नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।
आर्द्रा नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की आराधना करना शुभदायक होता है। भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए. सोमवार का व्रत एवं जाप इत्यादि करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है।
आप जितने भी बड़े ज्ञानी क्यों ना हो शनि देव के इन रहस्यों के बारे में नहीं ही जानते होंगे, 30 अप्रैल शनि अमावस्या के दिन अवश्य जाने न्याय के देवता के बारे में खास और रोचक बातें
योग(Yog) : धृति 19.07 PM तक तत्पश्चात शूल
प्रथम करण : – बालव 12.32 PM तक
द्वितीय करण :- कौलव
- गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
- दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।
- राहुकाल (Rahukaal)-दिन – 10:30 से 12:00 तक।
- सूर्योदय -प्रातः 05:37
- सूर्यास्त – सायं : 18:59
- विशेष – पंचमी को बेल खाना निषेध है, पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। ।
- पर्व त्यौहार-
- मुहूर्त (Muhurt) –
30 अप्रैल शनि अमावस्या के दिन शनि देव और राहु के शुभ फलो के लिए करें ये आसान उपाय
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।6 मई 2022 2022 का पंचांग, 6 May 2022 ka Panchang, aaj ka panchang, aaj ka rahu kaal, aaj ka shubh panchang, friday ka panchang, panchang, shukrawar ka panchang, Shukravar Ka Panchang, shukrawar ka rahu kaal, shukrwar ka shubh panchang, आज का पंचांग, आज का राहुकाल, आज का शुभ पंचांग, पंचांग, फ्राइडे का पंचांग, शुक्रवार का पंचांग, शुक्रवार का राहु काल, शुक्रवार का शुभ पंचांग
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