ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

holika dahan ka muhurat, होलिका दहन का मुहूर्त, holika dahan 2022,By manas pardal- March 15, 2022243holika dahan ka muhurat, होलिका दहन का मुहूर्त,होली, holi, हमारे भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हर्ष, उल्लास और रंगों का यह त्योहार मुख्यतया: दो दिन मनाया जाता है, होलिका दहन, holika dahan और रंगो का पर्व धुलेंडी।पहले दिन होलिका दहन, holika dahan होता है इस दिन होलिका जलायी जाती है और दूसरे दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते हैं, इसे धुलेंडी कहा जाता है, इस दिन हुलियारों की टोलियाँ ढोल बजा बजा घूम,घूम कर होली खेलती है । इस दिन लोग एक दूसरे के घर जा कर रंग लगाते है और गले मिलते है। होली के दिन लोग पुरानी से पुरानी कटुता को भूला कर गले मिलकर फिर से दोस्त बन जाते हैं। होली हमारे देश में बहुत ही प्राचीन समय से मनाई जाती है। अनेको प्राचीन धर्म ग्रंथों, मध्ययुगीन पुस्तकों और मुगलकालीन इतिहास में भी होली खेले जाने का उल्लेख्य है।holika dahan ka muhurat, होलिका दहन का मुहूर्त, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी त्योहारों को मुहूर्त के अनुसार मनाना ही उत्तम रहता है । होलिका दहन का मुहूर्त, holika dahan ka muhurat, का अवश्य ही ध्यान रखें ।नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन, holika dahan फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि को भद्रारहित प्रदोष काल में करना चाहिए, होलिका का दहन विधिवत रुप से होलिका का पूजन करने के बाद ही करना श्रेष्ठ है। सुख – समृद्धि, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता के लिए होली की रात को अवश्य ही करें ये उपायमान्यता है कि भद्रा के समय में होलिका दहन, holika dahan करने से उस क्षेत्र में अशुभ घटनाएं हो सकती है इसके अलावा चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पहले कभी भी होलिका दहन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार अगर होलिका दहन के समय में भद्रा आ रही हो तो होलिका दहन का मुहूर्त हमेशा भद्रा मुख का त्याग करके निर्धारित होता है क्योंकि भद्रा मुख में होलिका दहन बिलकुल वर्जित है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट को बुलावा देना जैसा है जिसका दुषपरिणाम दहन करने वाले और उस शहर उस देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है।इसके अतिरिक्त यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले और मध्य रात्रि के बाद भी हो तो उसे भी होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त और मध्य रात्रि के बीच ही उचित माना जाता है। राशि नुसार ऐसे खेलें होली जीवन में सुख – समृद्धि, हर्ष – उल्लास का बना रहेगा समय,लेकिन इस बार वर्ष 2022 में 17 मार्च को ही 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा। भद्रा का पुँछ रात्रि 21.20 से 22.31 तक है अत: इस समय में या रात्रि में 12.57 के बाद होलिका दहन किया जा सकता है। होलिका दहन पूर्णिमा में ही शुभ माना जाता है और प्रतिपदा, सूर्योदय, चतुदर्शी व भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जा सकता है।पूर्णिमा का आरंभ :- 17 मार्च 1 बजकर 29 मिनट से,पूर्णिमा का समापन :- 18 मार्च रात्रि 12 बजकर 47 मिनट तकहोलिका दहन का मुहूर्त :- 17 मार्च सांय 21 बजकर 20 मिनट से रात्रि 22 बजकर 31 मिनट तकलेकिन होलिका दहन करने के लिए, होलिका की पूजा करने का सबसे शुभ समय रात्रि में भद्रा के बाद 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है।होली में इस वर्ष 2022 में अति शुभ सर्वार्थ सिद्धि योग, ध्रुव योग, अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।इसके साथ ही इस वर्ष होलिका दहन के समय वृद्धि योग भी उपस्थित रहेगा। अपने नाम के अनुसार ही यह वृद्धि योग सभी शुभ कार्यो में वृद्धि और उन्नति देने वाला माना जाता है।नारद पुराण में होलिका दहन की कथा मिलती है इसके अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन अत्याचारी राजा हरिण्यकश्यप के कहने पर उसकी बहन होलिका हरिण्यकश्यप के पुत्र विष्णु भक्त प्रह्लाद को आग में भस्म करने के लिए उसे अपनी गोद में बैठाकर अग्नि में बैठ गई।शास्त्रों के अनुसार होलिका को यह वरदान था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती है। लेकिन भगवान श्री विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हुए उसे आग में जलने से बचा लिया। वहीं होलिका वरदान के बाद भी अग्नि में भस्म हो गई।इसीलिए बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका का दहन किया जाता है।होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इसके अगले दिन हर्ष उल्लास के साथ रंगों से खेलने की परंपरा है इसे धुलेंडी, के नाम से भी जाना जाता है।होली का रंग हमेशा पड़ेवा अर्थात प्रतिपदा ( पूर्णिमा के अगले दिन ) खेलना ही शुभ माना जाता है इसलिए होली का रंग 18 मार्च को सूर्योदय के बाद ही खेला जायेगा । रंग खेलने के लिए 18 मार्च को सूर्योदय 6 बजकर 10 मिनट से दोपहर तक का समय अच्छा रहेगा। अगर चाहते है कि भाग्य निरंतर साथ दें तो राशिनुसार यह लकी चार्म अवश्य ही रखे अपने साथहोली, Holi, होली 2022, Holi 2022, होली का पर्व, Holi Ka Parv, होलिका दहन का मुहूर्त, holika dahan ka muhurat, होलिका दहन का मुहूर्त 2022, holika dahan ka muhurat 2022, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, holika dahan ka shubh muhurat


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होली, holi, हमारे भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हर्ष, उल्लास और रंगों का यह त्योहार मुख्यतया: दो दिन मनाया जाता है, होलिका दहन, holika dahan और रंगो का पर्व धुलेंडी।

पहले दिन होलिका दहन, holika dahan होता है इस दिन होलिका जलायी जाती है और दूसरे दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते हैं, इसे धुलेंडी कहा जाता है, इस दिन हुलियारों की टोलियाँ ढोल बजा बजा घूम,घूम कर होली खेलती है । इस दिन लोग एक दूसरे के घर जा कर रंग लगाते है और गले मिलते है। होली के दिन लोग पुरानी से पुरानी कटुता को भूला कर गले मिलकर फिर से दोस्त बन जाते हैं।  

होली हमारे देश में बहुत ही प्राचीन समय से मनाई जाती है। अनेको प्राचीन धर्म ग्रंथों, मध्ययुगीन पुस्तकों और मुगलकालीन इतिहास में भी होली खेले जाने का उल्लेख्य है।

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      ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी त्योहारों को मुहूर्त के अनुसार मनाना ही उत्तम रहता है । होलिका दहन का मुहूर्त, holika dahan ka muhurat, का अवश्य ही ध्यान रखें ।
नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन, holika dahan फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि को भद्रारहित प्रदोष काल में करना चाहिए,  होलिका का दहन विधिवत रुप से होलिका का पूजन करने के बाद ही करना श्रेष्ठ है।  

सुख – समृद्धि, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता के लिए होली की रात को अवश्य ही करें ये उपाय

मान्यता है कि भद्रा के समय में होलिका दहन, holika dahan करने से उस क्षेत्र में अशुभ घटनाएं हो सकती है  इसके अलावा चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पहले कभी भी होलिका दहन नहीं करना चाहिए।  

शास्त्रों के अनुसार अगर होलिका दहन के समय में भद्रा आ रही हो तो  होलिका दहन का मुहूर्त हमेशा भद्रा मुख का त्याग करके निर्धारित होता है क्योंकि भद्रा मुख में होलिका दहन बिलकुल वर्जित है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट को बुलावा देना जैसा है जिसका दुषपरिणाम दहन करने वाले और उस शहर उस देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है।

इसके अतिरिक्त यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले और मध्य रात्रि के बाद भी हो तो उसे भी होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त और मध्य रात्रि के बीच ही उचित माना जाता है। 

राशि नुसार ऐसे खेलें होली जीवन में सुख – समृद्धि, हर्ष – उल्लास का बना रहेगा समय,

लेकिन इस बार वर्ष 2022 में 17 मार्च को ही 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा। 

भद्रा का पुँछ रात्रि 21.20 से 22.31 तक है अत: इस समय में या रात्रि में 12.57 के बाद होलिका दहन किया जा सकता है।

   होलिका दहन पूर्णिमा में ही शुभ माना जाता है और प्रतिपदा, सूर्योदय, चतुदर्शी व भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जा सकता है।

पूर्णिमा का आरंभ :- 17 मार्च 1 बजकर 29 मिनट से,
पूर्णिमा का समापन :- 18 मार्च रात्रि 12 बजकर 47 मिनट तक

होलिका दहन का मुहूर्त :- 17 मार्च सांय 21 बजकर 20 मिनट से रात्रि 22 बजकर 31 मिनट तक

लेकिन होलिका दहन करने के लिए, होलिका की पूजा करने का सबसे शुभ समय रात्रि में भद्रा के बाद 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है।

होली में इस वर्ष 2022 में अति शुभ सर्वार्थ सिद्धि योग, ध्रुव योग, अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।

इसके साथ ही इस वर्ष होलिका दहन के समय वृद्धि योग भी उपस्थित रहेगा। अपने नाम के अनुसार ही यह वृद्धि योग सभी शुभ कार्यो में वृद्धि और उन्नति देने वाला माना जाता है।

नारद पुराण में होलिका दहन की कथा मिलती है इसके अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन अत्याचारी राजा हरिण्यकश्यप के कहने पर उसकी बहन होलिका हरिण्यकश्यप के पुत्र विष्णु भक्त प्रह्लाद को आग में भस्म करने के लिए उसे अपनी गोद में बैठाकर अग्नि में बैठ गई।

शास्त्रों के अनुसार होलिका को यह वरदान था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती है। लेकिन भगवान श्री विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हुए उसे आग में जलने से बचा लिया। वहीं होलिका वरदान के बाद भी अग्नि में भस्म हो गई।

इसीलिए बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका का दहन किया जाता है।

होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इसके अगले दिन हर्ष उल्लास के साथ रंगों से खेलने की परंपरा है इसे धुलेंडी, के नाम से भी जाना जाता है।

होली का रंग हमेशा पड़ेवा अर्थात प्रतिपदा ( पूर्णिमा के अगले दिन ) खेलना ही शुभ माना जाता है  इसलिए होली का रंग 18 मार्च को सूर्योदय के बाद ही खेला जायेगा । रंग खेलने के लिए 18 मार्च को सूर्योदय 6 बजकर 10  मिनट से दोपहर तक का समय अच्छा रहेगा।       

अगर चाहते है कि भाग्य निरंतर साथ दें तो राशिनुसार यह लकी चार्म अवश्य ही रखे अपने साथ

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