ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )

पितृ पक्ष में विशेष, Pitr paksh me vishesh,

 

पितृ पक्ष में विशेष, Pitr paksh me vishesh,

पितृ पक्ष में विशेष, Pitr paksh me vishesh,

हम सभी का जन्म हमारे माता-पिता के कारण हुआ है, और उनके जन्म के कारण भी उनके माता-पिता ही थे। यही क्रम सृष्टि के आरम्भ से ही चला आ रहा है ।  मृत्यु के बाद हम अपने पुरखों को पितृ की संज्ञा देते हैं। हिन्दू धर्म में इन्हीं पितरों के लिए वर्ष में एक पक्ष निर्धारित किया जिसे हम पितृ पक्ष Pitra Paksh कहते हैं।

पितृ पक्ष पितरों के प्रति श्रद्धा का समय है। लेकिन कई बार पितृ पक्ष में हम लोगो से गलतियाँ हो जाती है। पितृ पक्ष में विशेष, Pitr paksh me vishesh, रूप से इन बातों का रखे ध्यान,

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  • इस पक्ष में हम अपने स्वर्गवासी ददिहाल, ननिहाल के पूर्वजों के निमित्त तर्पण Tarpan, श्राद्ध Shradh, दान Daan इत्यादि करते हैं।
    कहते है कि पितृ पक्ष Pitra Paksh में पितर धरती में अपने परिजनों के आस पास आ जाते है और उनसे अपने लिए तर्पण Tarpan, श्राद्ध Shradh, ब्राह्मण भोजन Brahman Bhojan, दान आदि के अपेक्षा करते है तथा अपने वंशजो से अपने निमित किये गए कर्मों को स्वीकार कर उन्हें सुख समृद्धि Shukh Samridhi, धन Dhan, यश Yash, आरोग्य Aarogya, आयु, विद्या, और बल प्राप्त करने का आशीर्वाद देते हैं ।

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  • और यदि उनकी वर्तमान पीढ़ी उनके निमित उपरोक्त कर्म नहीं करती है तो वह रुष्ट होकर उन्हें श्राप दे देते है जिससे उसका जीवन अत्यंत संघर्षमय, कष्टकर हो जाता है।
  • पितरों Pitron के प्रति अपने कर्मो का निर्वाह करते हुए हमें निम्नलिखित बातों का अवश्य ही ध्यान देना चाहिए ।

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  • यह सही है कि पितरों का श्राद्ध Pitron Ka Shradh घर के बड़े बेटे को ही करना चाहिए लेकिन पितरों का तर्पण Pitron Ka Tarpan  अर्थात उन्हें जल अन्य पुत्रों को भी देना चाहिए ।
  • पितृ पक्ष में  पितरों का तर्पण Pitron Ka Tarpan  नित्य प्रात: अनिवार्य रूप से करना चाहिए । पितृ पक्ष Pitra Paksh में हर वयस्क व्यक्ति को अपने पितरों के प्रति दान पुण्य करते हुए उनके प्रति कर्तज्ञता का भाव अवश्य ही रखना चाहिए ।

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  • यह हम सभी का कर्तव्य है कि यदि हमारे पिता जीवित है और अज्ञानता वश वह अपने पितरों के लिए सही तरीके से तर्पण श्राद्ध आदि नहीं कर पा रहे है तो हम उन्हें इसके बारे में अवश्य ही बताएं , जिससे उन्हें या परिवार के बाकि सदस्यों को पितृ दोष Pitradosh का भागी ना बनना पड़े ।
  • पितृ पक्ष Pitra Paksh में श्राद्ध में गाय के दूध, दही और घी का प्रयोग ही करना चाहिए भैंस का नही ।
  • तर्पण Trapan हमें सुबह सवेरे ही करना चाहिए और तर्पण से पहले कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए ।
  • तर्पण Tarpan, श्राद्ध Shradh, ब्राह्मण भोजन Brahman Bhojan में चाँदी के बर्तनो का उपयोग करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है।  मान्यता है कि चांदी भगवान शिव के नेत्रों से प्रकट हुई हैं।
  • शास्त्रों के अनुसार तर्पण में चाँदी के बर्तन से जल देने पर पितरों को अक्षय तृप्ति की प्राप्ति होती है और यदि उनके पिंडदान Pind Daan और ब्राह्मण भोजन Brahman Bhojan में भी चाँदी के बर्तनो का उपयोग किया जाय तो वह अपने वंशजो से अत्यंत प्रसन्न हो जाते है और उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।
  • सोने के बर्तनो से तर्पण Tarpan करने से भी महान पुण्य की प्राप्ति होती है ।
  • सोने और चाँदी के बर्तनो के अभाव में ताम्बे और काँसे के बर्तनो का भी प्रयोग किया जा सकता है लेकिन  तर्पण और श्राद्ध Tarpan Aur Shradh में लोहे के बर्तनो का प्रयोग बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।
  • पितरों के नित्य तर्पण में कुश, काले तिल, गाय का दूध, गंगाजल, तुलसी और दूर्वा का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए ।  शास्त्रों के अनुसार कुश तथा काला तिल भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुए हैं ।   
  • गाय का दूध और गंगाजल का प्रयोग श्राद्ध के कर्मफल को कई गुना तक बढ़ा देता है। तुलसी और दूर्वा दोनों ही बहुत ही पवित्र मानी जाती है अत: इसके प्रयोग से पितृ अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
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  • राहुकाल में तर्पण, श्राद्ध वर्जित है अत: इस समय में उपरोक्त कार्य नहीं करने चाहिए ।
  • श्राद्ध, पिंड दान Pind Daan करते समय साफ पीले या सफ़ेद वस्त्र ही धारण करें, काले, लाल, नीले वस्त्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए । 
  • ज्योतिषाचार्य मुक्ति नारायण पाण्डेय
    ( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ )


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