रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 12 नवम्बर 2023 का पंचांग,

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag, 12 नवम्बर 2023 का पंचांग,

आप सभी को दीपावली के महापर्व की हार्दिक शुभकामनायें

रविवार का पंचांग, Raviwar Ka Panchag,

12 नवम्बर 2023 का पंचांग, 12 November 2023 ka Panchang,

अवश्य पढ़ें :-  मनचाही नौकरी चाहते हो, नौकरी मिलने में आती हो परेशानियाँ  तो अवश्य करें ये उपाय 

Panchang, पंचाग, आज का पंचांग, aaj ka panchang, Panchang 2023, हिन्दू पंचाग, Hindu Panchang पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)



पंचाग (panchang) का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे । जानिए रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang।

रविवार का पंचांग, Ravivar Ka Panchang,
12 नवम्बर
 2023 का पंचांग12 November 2023 ka Panchang,

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भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।

👉🏽दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।

इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।

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रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।

रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।

धनतेरस के दिन इस उपाय से पूरे वर्ष घर कारोबार में प्रचुर मात्रा में धन आता रहेगा, धनतेरस के दिन अवश्य करें ये उपाय

*विक्रम संवत् 2080,
* शक संवत – 1945,
*कलि संवत 5124
* अयन – दक्षिणायण,
* ऋतु – शरद ऋतु,
* मास – कार्तिक माह
* पक्ष – कृष्ण पक्ष
* चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,

रविवार को सूर्य देव की होरा :-

प्रात: 6.40 AM से 7.34 AM तक

दोपहर 12.59 PM से 1.53 PM तक

रात्रि 19.41 PM से 20.47 PM तक

रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।

सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।

रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।

दीपावली के दिन इस तरह से करें पूजा, मां लक्ष्मी, गणेश जी की मिलेगी असीम कृपा, अवश्य जानिए दीपावली की आसान पूजन विधि,

सूर्य देव के मन्त्र :-

ॐ भास्कराय नमः।।

अथवा

ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।

  • तिथि (Tithi) – चतुर्दशी 2.44 PM तक तत्पश्चात अमावस्या
  • तिथि के स्वामी :- चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी और अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव जी हैI

चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं।

अतः प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, भक्तो के सभी संकट दूर होते है ।

चतुर्दशी तिथि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है।

चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

चतुर्दशी तिथि को समस्त संकटो से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्” का जाप करना अत्यंत फलदाई रहता है ।

शास्त्रों में चतुर्दशी को हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन, तिल का तेल, लाल रंग का साग, काँसे के बर्तन में भोजन एवं शारीरिक संबंध बनाना मना किया गया है।’

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आज दीपावली का महा पर्व पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है दिवाली हिन्दुओं का सबसे प्रमुख पर्व माना जाता है । असत्य पर सत्य की विजय का महापर्व दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पूरे भारतवर्ष में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।  

शास्त्रो के अनुसार दीपावली का यह महा पर्व भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के  बनवास के बाद वापस अपने राज्य में लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

इस पर्व पर घर कारोबार में सुख-समृद्धि के लिए भगवान गणपति गणेश और लक्ष्मी माँ का पूजन किया जाता हैं।  इस दिन गणेश जी कि पूजा से ऋद्धि–सिद्धि एवं माँ लक्ष्मी के पूजन से घर में स्थाई सुख-समृद्धि का वास होता हैं ।

दीपावली का अर्थ है दीपकों कि माला। इस दिन दीपक की पूजा की जाती है और घर, कारोबार को दीपको को जलाकर उनसे सजाया जाता है। दीपक अंधकार को दूर कर प्रकाश का प्रतीक हैं।

इस दिन रात्रि में जागरण कर माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना करने का विशेष महत्व है ।  माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की हर्दय प्रिया है , दीपावली में इनका पूजन धन , समृद्धि एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

मान्यता है इस दिन माँ लक्ष्मी रात में धरती में भ्रमण करती है और जो भक्त रात में जाग कर उनकी भक्ति करते है उनके यहाँ पर स्थाई रूप से निवास करती है ।

जीवन में सौभाग्य, सफलता और मनवांछित फलों की प्राप्ति के लिए माँ लक्ष्मी का प्रसन्न होना परम आवश्यक है और दीपावली के पाँचो दिन का समय माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सर्वोत्तम समय माना गया है।

दीपावली के दिन व्यापारी अपने नई बही खातों की पूजा करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार दीपावली की शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए, शुभ मुहूर्त में पूर्ण श्रद्धा के साथ गणेश जी , लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और कुबेर देव जी पूजा करने से धन लाभ के योग बनते है, पूरे वर्ष शुभ समाचार मिलते है ।

दिवाली पर करें अति शुभ मुहूर्त, स्थिर लग्न में गणेश – लक्ष्मी जी की पूजा, घर करोबार में रिद्धि-सिद्धि, माँ लक्ष्मी जी सदैव बनी रहेंगी,

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  • नक्षत्र (Nakshatra) – स्वाति
  • नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-    स्वाति नक्षत्र के देवता वायु और सरस्वती जी और स्वामी राहु जी है । 

स्वाति नक्षत्र, नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 15वां है। स्वाति नक्षत्र राहु का दूसरा नक्षत्र है।

स्वाति नक्षत्र ‘शुद्धता’, ‘स्वतंत्रता’ को दर्शाता है । यह अत्यंत शुद्ध और पवित्र बारिश की पहली बूंद का भी प्रतीक है ।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : अर्जुन तथा स्वाभाव शुभ माना गया है। स्वाति नक्षत्र सितारे का लिंग महिला है।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक पर जीवन भर शुक्र एवं राहु ग्रह का प्रभाव बना रहता है।

स्वाति नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 4 और 6, भाग्यशाली रंग, गहरा भूरा, काला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और मंगलवार माना जाता है ।

स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ वायवे नमः”। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।

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  • योग (Yog) – आयुष्मान 16.25 PM तक तत्पश्चात सौभाग्य
  • योग के स्वामी :-    आयुष्मान योग के स्वामी चंद्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – शकुनि 14.44 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  शकुनि करण की स्वामी माँ काली और स्वभाव क्रूर है ।
  • द्वितीय करण : – चतुष्पाद
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-  चतुष्पाद करण के स्वामी रूद्र और स्वभाव क्रूर है ।
  • गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
  • दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
  • राहुकाल (Rahukaal)-सायं – 4:30 से 6:00 तक ।
  • सूर्योदय – प्रातः 06:41
  • सूर्यास्त – सायं 17:29

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  • विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।

    रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।

    रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

  • शास्त्रों में चतुर्दशी और अमावस्या को हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन, तिल का तेल, लाल रंग का साग, काँसे के बर्तन में भोजन एवं शारीरिक संबंध बनाना मना किया गया है। 
  • पर्व त्यौहार- दीपावली

“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।

आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।

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( हस्त रेखा, कुंडली, ज्योतिष विशेषज्ञ 07714070168)

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